कैंसर से हो रही लगातर मौत से ग्रामीणों में हड़कंप, प्रशासन ने की पीड़ितों से मुलाकात

5/4/2018 9:29:19 AM

नूंह मेवात(ऐके बघेल) : मेवात जिले में सबसे बड़े गांव साकरस में कैंसर से प्रभावित लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। हॉल ही में यहां पांच दिन के भीतर दो लोगों की मौत हो गई। सोमवार को 66 वर्षीय सूका खां की मौत हो गई। जबकि 60 वर्षीय अब्दुल रजाक की मंगलवार के दिन मौत हो गई। इन दो मौतों के साथ ही गांव में अब तक कैंसर से पीड़ित करीब 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। गांव में एक के बाद एक हो रही मौतों से ग्रामीणों में हड़कंप मचा हुआ है। अभी भी गांव में कैंसर से पीड़ित कई मरीज हैं। जिनका इलाज अलवर, जयपुर और दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। यहां लोग जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। बता दें कि कैंसर का कारण पीने का पानी बताया जा रहा है।

फिरोजपुर झिरका उपमंडल के सबसे बड़े गांव साकरस व इससे लगते आसपास के गांवों पर कैंसर कहर बनकर टूट रही है। यदि ग्रामीणों की बातों पर यकीन करें तो साकरस से लगते गांवों में पिछले तीन सालों में कैंसर से प्रभावित 40  से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। गांव साकरस में हो रही मौतों के बाद जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। इलाके के प्रमुख समाजसेवी फजरुद्दीन बेसर, ब्लॉक समिति सदस्य समीम अहमद ने बताया कि साकरस व उसके आसपास के गांवों में लगातार कैंसर से पीड़ित मरीजों की मौत हो रही है। लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

तीन साल में 40 पर पहुंचा मृतकों का आंकडा : गांव साकरस से मिली जानकारी के अनुसार बीते तीन वर्षों में गांव की रोशनी, राबिया, नसीम, निसीया, हाजी इसन, खलील, साहुन, साबुद्दीन, कायम, बशीर, कमरुद्दीन, भूरू, इसरबी, अलीजान, रोजदार, हनीफ, सवाई, अनिल, पुष्पा, किशनचंद, तेजराम, ज्ञानी सैनी, प्रभुराम, असर खां, जैकम, जाकिर हुसैन, रसीदन, शरीफ, लेखराज, शमशू, इब्बर, पुन्ना, अलीशेर और सब्बीर खां, सूका खां, अब्दुल रजाक की मौत कैंसर के कारण हुई है। गांव में अभी आधा दर्जन लोग ऐसे हैं जिन्हें कैंसर की बीमारी है।

स्वास्थ्य विभाग की सेहत पर नहीं असर 
गांव साकरस में तीन सालों से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लोगों की मौत हो रही है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस क्रम में कोई ठोस रोकथाम नहीं की जा रही है। इससे लोगों में विभाग के प्रति रोष पनपा हुआ है। ब्लॉक समिति मेंबर समीम अहमद ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते गांव में यह बीमारी गंभीर रूप ले चुकी है। विभागीय अधिकारी व कर्मचारी केवल खानापूर्ति के लिए गांव में आते हैं। जबकि विभाग की ओर से लोगों को बचाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है।

मेवात जिले के साकरस गांव में कई वर्षों से  फैली कैंसर की बीमारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए पहली बार जिला प्रशासन जनता से मुलाकात की है। पत्रकारों से बातचीत दौरान उपायुक्त ने कहा कि गांव साकरस में कैंसर पीडि़त लोगों से मुकालत की है ।  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वो इस खतरनाक बिमारी का ईलाज अच्छी प्रकार से करें। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति को कैंसर की शिकायत है तो मांडीखेड़ा अस्पताल में जाकर अपना ईलाज कराए। उपायुक्त ने कहा कि पहले पीडि़त व जरुरत मंद लोगों की मद की जाएगी और बाद में सभी लोगों का ईलाज किया जाएगा।  सभी प्रकार के टैस्ट कराए जायेंगे और जल्दी ही एक कैंप का आयोजन किया जायेगा।  उपायुक्त ने सिविल सर्जन को कहा कि गांव में बंद पडे स्वास्थ्य केंद्र को जल्द से जल्द 
शुरु कराए और वहां लोगों को हर प्रकार की सुविधा देना सुनिश्चत करें।

Rakhi Yadav