किसी अन्य फैक्टर की बजाय काम करेगा ‘डिवाइडेशन ऑफ वोट’ का जातिगत फैक्टर

2/26/2018 10:26:38 AM

अम्बाला(ब्यूरो): जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और उसके बाद सरकार की ओर से की गई कार्रवाई का असर आने वाले लोकसभा चुनावों में देखने को मिलेगा। इस आंदोलन ने प्रदेश में जातीय समीकरणों को बढ़ावा देने का काम किया है। आंदोलन के बाद हो रहे घटनाक्रम और नए सिरे से जाटों के दूसरे गुट की ओर से आंदोलन शुरू किए जाने जैसी घटनाएं चुनावों में उन क्षेत्रों में बड़ा रोल अदा करेंगी। जहां लोकसभा क्षेत्रों में सीधे तौर पर जाट और गैर-जाटों की संख्या लगभग बराबर है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए संभावित प्रत्याशियों ने अभी से अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है। 

जिन लोकसभा क्षेत्रों में जाट और गैर-जाटों की संख्या लगभग बराबर है। वहां सभी प्रमुख दल ‘डिवाइडेशन ऑफ वोट’ फैक्टर पर काम कर रहे हैं। रणनीति कुछ इस तरह की तैयार की जा रही है कि जहां प्रत्याशी गैर-जाट होगा वहां जाट वोटों में बिखराव करने का प्रयास किया जाएगा। जाट प्रत्याशी होने की सूरत में गैर-जाट वोटों को बांटने की रणनीति तैयार की जाएगी। राजनीति के इसी थीम पर निर्धारित है भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र। 

इस लोकसभा क्षेत्र के भिवानी व चरखी दादरी जिलों के अधिकतर गांव जाट बाहुल्य हैं तो महेंद्रगढ़ जिले में अहीर मतदाताओं की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है। गत लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी चौ. धर्मबीर ने कांग्रेस प्रत्याशी श्रुति चौधरी को हराया था। उस चुनाव में जातिगत समीकरण कोई मायने नहीं रख पाए थे। लोगों ने सिर्फ मोदी के नाम पर भाजपा प्रत्याशियों की झोली में खुलकर वोट डाले थे। आने वाले चुनावों में मोदी फैक्टर के दोहराने की संभावना काफी क्षीण दिखाई दे रही है। प्रदेश सरकार ने भी अभी तक प्रदेश में ऐसा कुछ खास नहीं किया है। जिससे वह सरकारी अचीवमैंट्स के दम पर भाजपा प्रत्याशियों को लोकसभा पहुंचा सके। 

भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से वर्तमान सांसद चौ. धर्मबीर सिंह ने आने वाला लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की बात पहले ही साफ कर दी है। धर्मबीर अक्सर परिस्थितियां भांपकर सत्ता के साथ चलने के लिए पाला बदलने में माहिर माने जाते हैं। भाजपा को इस सीट पर नए प्रत्याशी की तलाश करनी होगी। पार्टी के पास इस सीट से चुनाव लडऩे की दावेदारी जताने वालों की लंबी फेहरिस्त है। इस सीट के अहीर बाहुल्य क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का काफी दबदबा है। अगर उनकी इच्छा के बिना किसी को टिकट दिया गया तो उसके लिए लोकसभा की चौखट तक पहुंचना आसान नहीं होगा।

पूर्व सांसद डा. सुधा यादव इस हलके से चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं। कांग्रेस में इस क्षेत्र से श्रुति चौधरी का कोई विकल्प फिलहाल नजर नहीं आ रहा। वह जाट नेत्री हैं। जाट बाहुल्य इलाकों में उनकी अच्छी पकड़ है। उनकी मां किरण चौधरी अहीर वोटों में सेंध लगाने के लिए लगातार प्रयासरत रही हैं। इसी के चलते उन्होंने इनैलो के युवा नेता रहे अभिमन्यु राव को कांग्रेस ज्वाइन करवाई है। अभिमन्यु राव की नांगल चौधरी हलके में अच्छी पकड़ है। इनैलो से टिकट नहीं मिलने के कारण वह इस क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ पाए थे लेकिन इस बार उन्होंने अभी से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर दी है।