समिति ने सुझाया एस.वाई.एल. का पानी लाने का नया प्लान

8/24/2018 4:25:52 PM

चंडीगढ़(पांडेय): हरियाणा व पंजाब के बीच सियासत का रूप ले चुका एस.वाई.एल. का पानी अगर केंद्र सरकार चाहे तो एक साल के भीतर दक्षिणी हरियाणा के सूखे खेतों को सींच कर हरा-भरा कर सकता है, बशर्ते बिना राजनीतिक स्वार्थ के दृढ़ संकल्प होना चाहिए। यह पानी भी ऐसे रास्ते से आएगा कि न तो इससे पंजाब के किसानों को नुक्सान होगा और न ही हरियाणा के हिस्से में कमी आएगी। यह सुझाव दिया है ‘एस.वाई.एल. हिमाचल मार्ग समिति’ के अध्यक्ष अधिवक्ता जितेंद्रनाथ ने। उन्होंने एस.वाई.एल. नहर के पानी को भाखड़ा डैम से हरियाणा तक लाने का शांति व सद्भावपूर्ण मार्ग तलाशने के लिए विस्तार से अध्ययन किया है। 

अब जो मार्ग तलाश किया गया है, उससे न तो पंजाब के किसानों को एतराज होगा और न ही हरियाणा के किसानों के पानी के हक में कटौती होगी। अगर सरकार ने उनके द्वारा सुझाए गए इस मार्ग से एस.वाई.एल. का पानी लाने के लिए कोई कार्रवाई शुरू नहीं की तो 28 अगस्त से करीब 4 महीने तक विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी और 1 दिसम्बर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

आज चंडीगढ़ प्रैस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में अधिवक्ता जितेंद्रनाथ ने कहा कि अगर केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार वास्तव में एस.वाई.एल. के पानी की समस्या का हल चाहती है तो भाखड़ा डैम से हिमाचल के रास्ते बद्दी से होते हुए पिंजौर के साथ से पंचकूला के पास टांगरी नदी में पानी डालकर जनसुई हैड तक लाया जा सकता है। उन्होंने एक डॉक्यूमैंटरी के माध्यम से एस.वाई.एल. नहर के वर्तमान हालात व उनके सुझाए गए रास्ते को दिखाते हुए बताया कि जनसुई हैड से आगे नहर का काम पूरा हो चुका है। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो भाखड़ा डैम से वाया हिमाचल प्रदेश हरियाणा बार्डर मात्र 67 कि.मी. की दूरी पर है, जबकि पंजाब के रास्ते हरियाणा बॉर्डर की दूरी 156 कि.मी. है। 

जितेंद्रनाथ ने बताया कि उनकी ‘एस.वाई.एल. हिमाचल मार्ग समिति’ ने जो रास्ता सुझाया है, उसमें पडऩे वाली हिमाचल प्रदेश की जमीन पहाड़ी व बरानी है और सरकारी भी है, जिसको हिमाचल प्रदेश की सरकार आसानी से दे सकती है। हिमाचल में स्थित भाखड़ा डैम के पानी का बहाव भी तेजी से नीचे की तरफ आता है। भाखड़ा डैम से बिजली बनाने के बाद यह पानी सतलुज नदी में गिरता है। हिमाचल में सतलुज नदी 11 कि.मी. तक बहती है, जिसमें से कहीं पर भी एस.वाई.एल. नहर को जोड़कर पानी लाया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि यदि एस.वाई.एल. का निर्माण पंजाब की बजाय हिमाचल प्रदेश से सीधा करवाते है तो प्रदेश सरकार को खर्च भी अधिक वहन नहीं करना पड़ेगा और पुनर्वास की भी समस्या नहीं आएगी। इस रास्ते से पानी लाने पर हरियाणा के लिए 1100 मैगावाट बिजली बनाई जा सकती है और प्रदेशवासियों को उनके हक का पानी भी मिल जाएगा।
 

Rakhi Yadav