हौसलों में उड़ान: मां-बाप का साया सिर से उठने के बाद भी बेटी ने मिसाल की पेश(VIDEO)

3/2/2020 6:37:01 PM

पानीपत(सचिन नारा): मेहनत सफलता की कुंजी है इस बात को बिन मां-बाप की बेटी ने सिद्ध किया। बचपन में ही सिर से मां-बाप का साया उठने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। जिंदगी की कठिन परिस्थितियों से लडऩे के लिए शिक्षा को कामयाबी का रास्ता बनाया। आज वह नौकरी के साथ अपनी तीन बहनों का पालन पोषण कर रही है।   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत पानीपत से की थी। वहीं आज यह अभियान पानीपत की हर बेटी के लिए प्रेरणा बन रहा हैं। पानीपत की हर बेटी शिक्षा लेना चाह रही है और शिक्षित होकर समाज में सम्मान के साथ जीना सीख रही हैं। कुछ बेटियां तो ऐसा उदाहरण बन दूसरी बेटियों के लिए  प्रेरणा बन रही हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है निभा सिंह की। 

पानीपत की निभा सिंह के बचपन में ही माता पिता उसको छोड़कर चले गए, जबकि बड़ी बहन शादी कर बिहार चली गई थी। चारों बहनें अकेली रहती थी, इसके चलते तीनों बहनों का पेट भरने और उन्हें सुरक्षा देने की जिम्मेदारी निभा की थी। क्योंकि घर पर कोई आदमी नहीं था। अंधेरा होते की उन्हें डर लगने लगता था। लेकिन कहते हैं भगवान उन्हीं की सहयता करता हैं जो खुद अपनी करते हैं।

घर में खाने के लिए नहीं था अनाज 
निभा ने हौसला नहीं छोड़ा और शिक्षा को माध्यम बनाया, जीवन से लडऩे के लिए उसने पढ़ाई शुरू कर दी। इस बीच पानीपत की कुछ सामाजिक संगठन और कार्यकर्ताओं ने उसका हाथ पकड़ा। निभा सिंह ने बताया कि वह बिहार की रहने वाली है, बड़ी बहन शादी होने के बाद बिहार चली गई थी। मां का देहांत हो गया और इस सदमे से उसके पिता ज्यादा शराब पीने लगे थे और वह चल बसे। उन्होंने कहा की घर पर रोटी खाने के लिए नहीं थी, समाजिक संगठन ने आकर सहायता की और घर का राशन पानी देने लगे।   

चारों बेटियों को अपनी बेटी की तरह समझ कर स्कूल में दाखिल करवाया
डॉक्टर वंदना पाहुजा ने बताया की चारो बेटियों को अपनी बेटी की तरह समझ इन्हें आर्य स्कूल में दाखिला करवाया। इन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा की आज निभा एमकॉम करने के साथ नौकरी भी कर रही है। अब वह घर का खर्चा भी चला लेती है, उसे सहायता की जरूरत नहीं हैं। निभा आज दूसरी बेटियों के लिए एक मिशाल है। 

मदद के लिए आगे आई कमला
चेतना स्कूल की इंचार्ज कमला खुद अनपढ़ हैं, लेकिन दूसरों को पढ़ाने के लिए हमेशा आगे रहती हैं। कमला इन सभी बहनों की मदद करती हैं और सभी बहने उन्हें दादी कहती हैं। कमला पिछले कई सालों से शहर में निशुल्क स्कूल चेतना के नाम से चला रही हैं। वह हजारों बेसहारा गरीब लड़कियों का सहारा बनी है, उनके सहयोग से ही आज निभा कामयाब है। वहीं दिनेश जैन एक निजी स्कूल चलाते हैं, उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियना के तहत सभी बहनों को शिक्षा मुफ्त में दी। ताकि वह जिंदगी की कठिन दौड़ में आगे बढ़ सकें। 

Edited By

vinod kumar