कांग्रेस के दिग्गजों की हार ने प्रदेश की राजनीति को किया प्रभावित

11/1/2019 11:40:46 AM

जींद (जसमेर): विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के कई दिग्गजों की हार ने प्रदेश की राजनीति को बहुत गहरे तक प्रभावित किया है। पलवल में पूर्व मंत्री कर्ण दलाल से लेकर कैथल में पूर्व मंत्री रणदीप सुर्जेवाला की हार ने भाजपा को उस मुकाम तक पहुंचाने में मदद की, जहां से भाजपा ने जे.जे.पी. और निर्दलीयों की मदद से प्रदेश में फिर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली। 

कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन 2014 के मुकाबले 2019 के विधानसभा चुनावों में भले ही काफी बेहतर रहा लेकिन उसके कई दिग्गजों की हार और वह भी भाजपा प्रत्याशियों के हाथों होने से सत्ता तक पहुंचने में भाजपा की राह आसान कर गई। चुनाव में कांग्रेस पार्टी के ये कई बड़े दिग्गज नहीं हारते तो प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर ही  कुछ अलग होती और भाजपा दोबारा सत्ता में नहीं आ पाती।  कांग्रेस नेतृत्व ने कभी यह नहीं सोचा था कि हरियाणा के चुनावी दंगल में उसके वे दिग्गज भी हार जाएंगे, जिनमें से कई 2014 में कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर में भी विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे थे। 

कांग्रेस के दिग्गज इस बार चुनावी दंगल में नहीं हारते तो भाजपा की सीटों की संख्या 40 से कम होकर 33 रह जाती और कांग्रेस विधायकों की संख्या 31 से बढ़कर 38 पर पहुंच जाती। उस स्थिति में राज्यपाल को कांग्रेस को ही सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना पड़ता और फिर जे.जे.पी. या निर्दलीयों की मदद से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती या कर्नाटक जैसे फार्मूले पर 10 सीटों वाली और तीसरे नंबर की पार्टी जे.जे.पी. को प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद मिल गया होता। आज कांग्रेस 2014 के मुकाबले 2019 में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद विपक्ष में बैठी है तो इसके लिए कांग्रेस के दिग्गजों की हार जिम्मेदार है। 

Isha