हरियाणा में उपचुनावों का 'सरदार' है देवीलाल 'परिवार', 8 सदस्यों ने लड़े 12 उपचुनाव, 8 में दर्ज की जी

11/2/2020 7:23:22 PM

संजय अरोड़ा: हरियाणा की सियासत का इतिहास दिलचस्प तथ्यों से भरा पड़ा और यहां की राजनीति तीन सियासी 'लालों’ के इर्द-गिर्द ही घुमती रही है और इन लाल परिवारों ने कई सियासी रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किए हैं। इस लाल परम्परा के एक अहम किरदार थे देवीलाल। देवीलाल घराना प्रदेश की सियासत का सबसे बड़ा घराना माना जाता है। इस घराने से सबसे अधिक बार 7 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है तो वहीं देवीलाल दो देश के उपप्रधानमंत्री भी बने। 

यही नहीं प्रदेश में सबसे अधिक उपचुनाव लडऩे और जीतने का रिकॉर्ड भी इस परिवार के नाम ही दर्ज है। देवीलाल परिवार के 8 सदस्यों ने एक दर्जन उपचुनाव लड़े और 8 उपचुनावों में जीत भी दर्ज की। देवीलाल ब्रिटिश शासन के दौरान ही स्वतंत्रता आंदोलन और सियासत में सक्रिय हो गए थे। साल 1938 में सिरसा में उपचुनाव हुआ। उस समय देवीलाल की उम्र छोटी थी। ऐसे में उनके बड़े भाई साहिबराम ने यह उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर विधायक निर्वाचित हुए। 

1938 में ब्रिटिश शासन में शुरू हुआ उपचुनाव लडऩे का यह सिलसिला इस परिवार में लगातार जारी है। 1974 में देवीलाल ने रोड़ी उपचुनाव में जीत दर्ज की। दिलचस्प बात यह है कि साल 1984 के सामान्य चुनाव में देवीलाल महम से विधायक चुने गए। पर किसी मुद्दे को लेकर उन्होंने विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद यहां 1985 में हुए उपचुनाव में देवीलाल ने कांग्रेस के रण सिंह को 11,369 वोटों से पराजित किया। 

हरियाणा गठन के बाद 1967 में पहला चुनाव हुआ, पर पार्टी से निष्कासन के चलते चौ. देवीलाल के बेटे ओमप्रकाश चौटाला चुनावी समर में नहीं उतर सके। पर बाद में 1970 में हुए ऐलनाबाद उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने 31,024 वोट हासिल करते हुए आजाद उम्मीदवार पी. राज को 18,746 वोटों से हराया। 1990 में वे दड़बा कलां से उपचुनाव लड़कर विधायक चुने गए और इसके बाद साल 1993 में हुए नरवाना उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला ने कांग्रेस के रणदीप सुर्जेवाला को 18,955 वोट से पराजित किया। 

चौटाला ने इस परिवार में सबसे अधिक तीन उपचुनाव लड़े और तीनों में जीत हासिल की। इसके बाद साल 2000 में ओमप्रकाश चौटाला द्वारा रोड़ी सीट से इस्तीफा देने के बाद उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला रोड़ी विधानसभा से उपचुनाव जीतकर विधायक चुने गए। 2010 में अभय सिंह ने ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज की। दोनों ही बार अभय सिंह चौटाला के लिए उनके पिता ओमप्रकाश चौटाला ने इस्तीफा देकर सीट खाली की।

4 सदस्यों को उपचुनाव में नहीं मिली कामयाबी
जहां इस परिवार के तीन सदस्यों ने 8 उपचुनाव जीते, तो वहीं 4 सदस्य ऐसे भी रहे जिन्हें उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा। साल 2008 में देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह को आदमपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के सामने हार झेलनी पड़ी। इसी तरह से साल 2011 के हिसार लोकसभा उपचुनाव में अजय चौटाला को पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे कुलदीप के सामने पराजय का सामना करना पड़ा। इससे पहले साल 2000 में देवीलाल के एक अन्य पौत्र रवि चौटाला को भी रोड़ी विधानसभा उपचुनाव में अपने चचेरे भाई अभय चौटाला के सामने हार का मुंह देखना पड़ा। पिछले साल जनवरी माह में जींद उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र दिग्विजय चौटाला की हार हुई।

सर्वाधिक विधायक का रिकॉर्ड भी किया कायम
देवीलाल परिवार के नाम जहां सबसे अधिक उपचुनाव लडऩे और जीतने का रिकॉर्ड दर्ज है, तो प्रदेश में सबसे अधिक विधायक भी इसी लाल घराने से आए हैं। देवीलाल के अलावा उनके बड़े भाई साहिब राम, बेटे ओमप्रकाश चौटाला, स्व. प्रताप चौटाला, चौ. रणजीत सिंह, पौते अजय चौटाला व अभय चौटाला, पौत्रवधु नैना चौटाला, पड़पौत्र दुष्यंत चौटाला सहित कुल 9 सदस्य विधायक बन चुके हैं। 

3 सदस्य उपचुनाव जीतकर पहली बार बने विधायक
देवीलाल परिवार से तीन सदस्य ऐसे भी हैं जो पहली बार उपचुनाव जीतकर ही विधानसभा में पहुंचे। 1938 में देवीलाल के बड़े भाई साहिबराम सिरसा से उपचुनाव जीते। साल 1970 में ऐलनाबाद  उपचुनाव जीतकर ओमप्रकाश चौटाला पहली बार विधायक निर्वाचित हुए, तो 2000 में चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला ने रोड़ी सीट से उपचुनाव जीता।

vinod kumar