जाट आरक्षण का मुद्दा BJP सरकार के गले की बनी हड्डी

2/17/2017 10:50:29 AM

गुड़गांव (गौरव):जाट आरक्षण आंदोलन पर भाजपा नेताओं व प्रशानिक अधिकारियों की एक भारी चूक सामने आई है। जाट आरक्षण का मुद्दा भाजपा सरकार के गले की हड्डी बन गई है, जिसको लेकर शांति समझौते के लिए बुलाई गई बैठक उल्टी पड़ गई। अंदर खाते मुख्यमंत्री के साथ जाट नेताओं की बैठक गड़गांव के जॉन होल में होनी तय हुई थी। तय कार्यक्रम के अनुसार अलग-अलग पार्टियों से जुड़े जाट नेता जॉन होल में पहुंचे भी, लेकिन मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले ही कई नेताओं को यह कह करके नमस्ते कर लिया गया कि यह बैठक जाट आरक्षण मुद्दे पर नहीं बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं की है। स्थिति तो एक बार हंगामे जैसे बनी, लेकिन जाट नेताओं की संख्या कम होने की वजह से हंगामा बड़ा रूप नहीं ले पाया। जाट नेता निहाल सिंह धारीवाल ने मौके पर ही कई नेताओं से कह दिया कि जब मुद्दे पर बात नहीं करनी थी तो बुलाया क्यों गया। यहां पहुंचे जाट नेताओं ने बताया कि उन्हे बातचीत का न्यौता मिला था।

गुड़गांव के डी.पी.आर.ओ. आर.एस. सांगवान की तरफ से भी मीडिया कर्मियों को 15 फरवरी की रात व्हाट्स एप्प मेसेज भेजकर सूचना दी गई थी कि मुख्यमंत्री जाट नेताओं से वार्तालाप करेंगे लेकिन मीडियाकर्मियो को अंदर जाने की अनुमति नही होगी। वहीं, जाट नेताओं के विरोध के बाद मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्या ने आकर बताया की यह भाजपा कर्यकर्ता मीटिंग ही थी लेकिन कन्फ्यूजन के चलते जाट नेता पहुच गए। जबकि इस मीटिंग में हरियाणा के सभी जाट मंत्री, वित् मंत्री कैप्टेन अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओपी धनकड़, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, सांसद धरमवीर सिंह, राज्यसभा सांसद चौधरी बिरेन्द्र सिंह सहित प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेता भाग ले रहे थे। ये पूरा प्रकरण कन्फ्यूजन की वजह से मान रही है। शैड्यूल 9 की बात की गई है जिसे लेकर हरियाणा सरकार आगे बढ़ रही है और जाटों के लिए बातचीत के सभी दरवाजे खुले है और इस मीटिंग में आंदोलन को लेकर काफी चर्चा भी हुई है, जहां तक जाट आरक्षण को लेकर जाटो के प्रति हुए मामले दर्ज का सवाल है तो हरियाणा सरकार ने 1500 मामले वापस ले लिए अब सिर्फ  622 मामले बाकी है उन पर भी चर्चा जारी है।