सिविल सेवक का पद विशेषाधिकार नहीं, बल्कि जनता की सेवा का साधन : हाई कोर्ट
punjabkesari.in Monday, May 22, 2023 - 09:32 PM (IST)

चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी) : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक गणित शिक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकारी अधिकारियों और सिविल सेवकों को याद दिलाया है कि सिविल सेवक का पद विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि जनता की सेवा करने का साधन है।
याचिका दाखिल करते हुए फाजिल्का निवासी अंकित ने बताया कि उसे 2021 में गणित मास्टर के तौर पर नियुक्त किया गया था। इसके बाद सक्षम प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के बाद याची ने पंजाब सरकार द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए जारी भर्ती में आवेदन किया। याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2021 को नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद मास्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के चलते असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए जारी भर्ती पर रोक लग गई। इसके बाद याची ने 10 दिसंबर 2021 को त्याग पत्र वापस लेने का अनुरोध किया लेकिन इसे मंजूर नहीं किया गया और याची को इसके लिए दर-दर भटकना पड़ा। खंडपीठ ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक को जवाब दाखिल करने को कहा। इसके बाद निदेशक तेजदीप सिंह सैनी ने 5 मई के आदेश की प्रति पेश की और बताया कि इस्तीफा वापस लेने की मांग खारिज करने वाला आदेश वापस ले लिया गया है। इसपर याची के वकील ने कहा कि अब इस याचिका का औचित्य नहीं बचता है और याचिका का निपटारा कर दिया जाए।
कोर्ट ने की टिप्पणी
यह सभी जानते हैं कि केवल कुछ भाग्यशाली लोगों को सरकारी कर्मचारी के रूप में राज्य की सेवा करने का अवसर मिलता है। उन कुछ लोगों में कुछ को जनता की सेवा करने का विशेषाधिकार मिलता है। सरकारी अधिकारियों और सिविल सेवकों जिनके पास निर्णय लेने की शक्तियां हैं उनसे दुर्भाग्यपूर्ण और अन्यायपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों की शिकायतों को दूर करने की अपेक्षा की जाती है। यह उम्मीद है कि एक दिन कर्तव्य की भावना प्रबल होगी और जनता की शिकायतों को शुरू में ही दूर कर दिया जाएगा।
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