चौटाला परिवार में अब 'घर' में घेरने का सिलसिला हुआ तेज !

4/4/2021 2:11:03 PM

संजय अरोड़ा: हरियाणा की सियासत में एक बार फिर से रोचक सियासी आरोपों प्रत्यारोपों का सिलसिला तेज होता नजर आ रहा है। हरियाणा में किसान आंदोलन का जबरदस्त असर है तो आने वाले समय में ऐलनाबाद और कालका में उपचुनाव भी होना है। इन सबके बीच अब इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के दोनों बेटों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के परिवारों के भी बीच जुबानी जंग भी जोर पकड़ती दिखाई दे रही है।



जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला व उनके दोनों बेटे सरकार में उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला तथा दिग्विजय चौटाला अभय सिंह को उनके ही हलके में ललकारने के अलावा उनपर सियासी हमले करते हुए दिख रहे हैं, तो अभय चौटाला भी पीछे नहीं है। अभय पिछले कई दिनों से अपने भतीजे दुष्यंत चौटाला के निर्वाचन क्षेत्र उचाना के गावों में दस्तक दे कर भतीजे को उनके घर में घेर रहे हैं। उनके तेवर आक्रामक हैं। अजय सिंह चौटाला ने भी दो दिन पहले अपने छोटे भाई अभय के निर्वाचन क्षेत्र ऐलनाबाद के जजपा कार्यकर्ताओं संग बैठक की। उपचुनाव को लेकर उन्होंने कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली तो दिग्विजय चौटाला पहले ही ऐलनाबाद सीट पर होने वाले उपचुनाव में जजपा का हक जता चुके हैं। भाईयों व चाचा-भतीजों में लगातार तेज हो रही सियासी जंग के बाद हरियाणा में अभी से चुनावी माहौल बनने लगा है।

उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन को लेकर अभय सिंह चौटाला इसी साल 27 जनवरी को ऐलनाबाद सीट से इस्तीफा दे चुके हैं। इसके बाद से अभय सिंह चौटाला लगातार सियासी वापसी की राह तलाशते हुए बहुत अधिक सक्रिय हो गए हैं। पिछले सवा दो माह से वे लगातार न केवल किसान आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं, बल्कि कालका, ऐलनाबाद के अलावा अब उचाना में उन्होंने डेरा डाला हुआ है। इस प्रकार जहां अजय सिंह व उनके बेटों के निशाने पर अभय का निर्वाचन क्षेत्र ऐलनाबाद है तो वहीं अभय चौटाला अपने भतीजे दुष्यंत के घर (निर्वाचन क्षेत्र) उचाना में जाकर उनपर निशाना साध रहे हैं।



गौरतलब है कि 7 अक्तूबर 2018 को गोहाना रैली के बाद इनेलो में विघटन की नींव पड़ी। उसके बाद नवम्बर में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अपने बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला और पौतों दुष्यंत व दिग्विजय को पार्टी से निष्कासित कर दिया। दिसम्बर 2018 में अजय और दुष्यंत ने जजपा का गठन किया। 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा ने 10 सीटों पर जीत हासिल की। बाद में भाजपा को समर्थन दिया और दुष्यंत उप-मुख्यमंत्री बने और उकलाना से उनकी पार्टी के विधायक अनूप धानक राज्य मंत्री बनाए गए और इनेलो 1 सीट के साथ 2.44 फीसदी मतों पर सिमट गई। 

किसान आंदोलन के साथ ही शुरू हुए थे सियासी वार
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में नवम्बर माह से किसान आंदोलन ने जोर पकड़ा। 27 जनवरी को अभय ने इस्तीफा दिया और इसके बाद वे जजपा और अपने भतीजे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर सियासी हमले करने लगे। यह सिलसिला पिछले सवा दो माह से जारी है। इसी कड़ी में अब अभय चौटाला उचाना की सियासी जमीन पर पांव जमा रहे हैं। वे अपने भतीजे दुष्यंत के विधानसभा क्षेत्र में उन्हें ललकारते हुए नजर आ रहे हैं तो उधर, अक्सर अपने चाचा के बयान को लेकर चुप रहने वाले दुष्यंत ने भी पिछले दिनों करनाल में अभय पर बड़ा हमला बोल दिया। दुष्यंत ने अपने चाचा को एक बार फिर से नॉन सीरियस लीडर बताते हुए उनपर सांकेतिक भाषा में तीखे वार किए।



दिग्विजय ने तो अपने चाचा अभय को को उपाधि रतन और सेल्फ प्रोक्लेमनड लीडर बताते हुए पिछले दिनों दावा कर दिया कि ऐलनाबाद की सीट पर उनका हक है और यहां से देवीलाल के सियासी दल के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। देवी लाल परिवार के सदस्यों की इस प्रकार की सियासी जंग से साफ संकेत मिल रहे हैं कि ऐसे में एक बार फिर से इनैलो और जजपा दोनों दलों में देवीलाल की विरासत का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है तो वहीं अब चाचा और भतीजे दोनों एक दूसरे के विधानसभा क्षेत्रों ऐलनाबाद और उचाना  में एक दूसरे को ललकार रहे हैं।

घोटालों को लेकर अभय का हमला हुआ तेज
अभय सिंह चौटाला पिछले कुछ दिनों से लगातार दुष्यंत चौटाला के विधानसभा क्षेत्र में दस्तक दे रहे हैं। वे न केवल किसान आंदोलन का मुद्दा उठा रहे हैं, बल्कि अपने भतीजे पर तीखे हमले बोल रहे हैं। अभय सिंह चौटाला लॉकडाउन के दौरान पिछले साल प्रदेश में हुए शराब घोटाले व रजिस्ट्री घोटाले पर लगातार दुष्यंत को घेर रहे हैं। साथ ही वे अपने ही अंदाज में उचाना में जाकर जनता से ही सवाल कर रहे हैं कि 'दुष्यंत तो आपका लाडला था, आप उसे चौधरी देवीलाल का दूसरा रूप कहते थे। 



अब आपने देवीलाल का दूसरा रूप खुद ही देख लिया होगा। इसके साथ ही वे सीधे आरोप लगा रहे हैं कि दुष्यंत ने लॉकडाउन में शराब माफिया खड़ा किया। 100 रुपए वाली बोतल 600 से 800 रुपए में बिकवाई। किसानों के नाम पर भाजपा के खिलाफ वोट लिए और बाद में भाजपा की गोदी में जाकर बैठ गया। यह भी विशेष बात है कि अभय सीधे भाजपा को कोसने की बजाय जजपा और अपने भतीजे को ही निशाने पर लिए हुए हैं। 

दोनों हलकों में रहा है चौटाला का प्रभाव
खास बात यह भी है कि उचाना और ऐलनाबाद दोनों ही विधानसभा सीटें इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के प्रभाव वाली सीटें रही हैं। ऐलनाबाद में अब तक हुए 15 चुनाव में 11 बार इनेलो को जीत मिली है। स्वयं ओमप्रकाश चौटाला साल 1970 के उपचुनाव में यहां से विधायक बने। 2009 में वे ऐलनाबाद और उचाना दोनों सीटों से विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने ऐलनाबाद से इस्तीफा दिया और उसके बाद 2010 के उपचुनाव में अभय चौटाला ऐलनाबाद से विधायक चुने गए थे। उचाना से जहां ओमप्रकाश चौटाला स्वयं विधायक रहे हैं वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा से दुष्यंत चौटाला ने उचाना से भाजपा उम्मीदवार व पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलत्ता को हराया था। इससे पहले 2014 में दुष्यंत उचाना से प्रेमलत्ता के सामने चुनाव हार गए थे।
 

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Content Writer

vinod kumar