सियासत में अभी कुछ ‘तय’ नहीं, सटोरियों ने बिछा ली बिसात

6/24/2019 8:28:58 AM

ब्यूरो (संजय अरोड़ा): हरियाणा में विधानसभा चुनावों को लेकर अभी सियासी लिहाज से कुछ भी तय नहीं है कि कौन-कौन कहां से और किसके साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा और किस सीट से कौन सा उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरेगा मगर सट्टा बाजार ने अपनी बिसात बिछा ली है। जानकारी के अनुसार सट्टा बाजार ने भाव भी तय कर दिए हैं और लोग भी भावों के अनुरूप दांव खेलने लग गए हैं।  यही नहीं सट्टा बाजार लोकसभा चुनावी नतीजों के तुरंत बाद ही सक्रिय हो गया और भाव घोषित कर दिए। भावों में सट्टा बाजार ने फिलहाल भाजपा को फेवरेट माना हुआ है।

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस बात को मानते हैं कि विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव से भिन्न होते हैं और इस चुनाव का सही माहौल उम्मीदवार के तय होने से ही बनता है मगर वे सट्टा बाजार की भविष्यवाणी को भी नजरअंदाज नहीं करते। उनका कहना है कि लोकसभा में इस बाजार का प्रदेश के लिहाज से काफी सटीक आंकलन था और सट्टा बाजार से लगभग रुख साफ जरूर हो जाता है मगर फिर भी अभी भाव घोषित होना कहीं न कहीं जल्दबाजी जरूर है।

पुराना संबंध है सियासत और सट्टे का
गौरतलब है कि सियासत और सट्टे का आपसी ‘संबंध’ आज का नहीं अपितु कई दशकों से है। जब-जब भी चुनावी आहट सुनाई पड़ी है तो उस वक्त सियासत से जुड़े लोग भी इस बाजार पर निगाह जमा लेते हैं। हरियाणा के सियासतदानों का भी इस बाजार से खासा लगाव है और राजनीति की समझ रखने वाले लोग भी इस बाजार द्वारा जारी किए जा रहे भावों पर अपने अनुमान का गुणा-भाग करते हैं। इस बात में भी कोई दोराय नहीं है कि चुनावी परिणाम और सट्टे बाजार द्वारा चुनावों के वक्त जारी किए जाने वाले भाव लगभग परस्पर मेल खाते हैं। बहरहाल,नतीजे कुछ भी रहे हों मगर यह हकीकत है कि सट्टा बाजार और सियासत का संबंध न केवल पुराना बल्कि अटूट भी है। 

लोकसभा के परिणामों को बनाया जा रहा आधार
बेशक लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद केंद्र में मोदी पार्ट-2 सरकार भी बन कर अपने काम में लग गई है लेकिन सट्टा बाजार से जुड़े लोगों की मानें तो उनका कहना है कि हरियाणा में इस वक्त जारी भावों का मुख्य आधार लोकसभा चुनाव के परिणाम ही हैं। हालांकि प्रदेश के विधानसभा चुनावों को करीब साढ़े 3 माह का समय शेष है लेकिन बाजार से जुड़े लोग कहते हैं कि ‘हवा’ लोकसभा चुनावों में ही बन चुकी थी। यही वजह है कि इस वक्त बाजार में भाजपा ही फेवरेट बनी हुई है।

समय के साथ बदल जाती है स्थिति
सट्टा बाजार चाहे अभी अपने भावों में भाजपा को फेवरेट मान रहा है और इसी के संदर्भ में भाव भी दिए जा रहे हैं लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षक कहते हैं कि हरियाणा में विधानसभा चुनावों में किसका किसके साथ गठजोड़ होता है अथवा कौन सा उम्मीदवार किसके बैनर तले कहां से चुनाव लड़ता है? या कौन सा राजनीतिक दल किस रणनीति तहत चुनावी ताल ठोकता है? इत्यादि ये वो तमाम सवाल हैं जो चुनावों दौरान ही साफ हो पाएंगे। ऐसे में अभी से किसी के भी फेवर में भाव आना कहीं न कहीं जल्दबाजी ही है और इसमें कोई दोराय नहीं कि विधानसभा चुनाव एक लिहाज से स्थानीय मुद्दों पर ही आधारित होते हैं और समय के साथ स्थिति बदल जाती है। पर्यवेक्षकों के अनुसार बेशक अभी भाजपा के समक्ष विपक्षीदल के रूप में कोई बड़ी चुनौती नजर नहीं आती मगर चुनाव तो चुनाव है। समय आने पर हरियाणा का चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा? यह हरियाणा के मतदाता तय करेंगे।                                

Naveen Dalal