विज की खामोशी 2 से 3 लोकसभा व 15 से 18 विधानसभा सीटों को कर सकती है प्रभावित

3/12/2024 10:19:41 PM

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी): मंगलवार को हरियाणा मंत्रिमंडल ने राज्यपाल को सामूहिक त्यागपत्र दिया तथा मनोहर पार्ट 2 सरकार की विदाई हुई। लेकिन हुए इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में जहां भाजपा के दोनों पर्यवेक्षक तरुण चुघ व अर्जुन मुंडा की मौजूदगी थी में नायब सिंह सैनी के नाम का मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्ताव रखा गया। लेकिन इस प्रस्ताव का प्रदेश के सीनियर मोस्ट नेता अनिल विज ने खुला विरोध कर दिया। सूत्रों के अनुसार उन्होंने इस फैसले को बीजेपी के लिए बड़े नुकसान का कारण बताया। यह शब्द उन्होंने तब कहे जब उन्हें नायब सिंह सैनी मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की भी बात ओपन की गई थी। सूत्रों के अनुसार विज ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का पद वह कतई नहीं लेंगे।

पहले दो बार भाजपा उम्मीदवार को हराकर विज बन चुके निर्दलीय विधायक

दरअसल विज का लाइफस्टाइल बचपन से लेकर आज तक ऐसा ही रहा है कि जब जब उनकी सेल्फ रिस्पेक्ट पर कोई भी आंच आई है तो वह उस काम को छोड़ दिया करते हैं। भारतीय जनता पार्टी के वह बेहद वरिष्ठ नेता हैं। वह अंबाला कैंट से 6 बार के विधायक हैं। दो बार तो भाजपा उम्मीदवार को हराकर वह निर्दलीय विधायक भी बन चुके हैं। हालांकि अनिल विज पूरी तरह से आरएसएस विचारधारा के हैं। लेकिन किसी कारणवश उन्हें उस दौरान पार्टी का त्याग करना पड़ा था। उस दौरान जब अनिल विज ने पहली बार निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ा था तब भी आरएसएस नेताओं ने उन्हें दिल्ली बुलाकर उनसे चुनाव न लड़ने की बात कही थी। लेकिन दिल्ली से वापिस अंबाला पहुंचे विज के समर्थकों ने उन पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाया, मजबूरन उन्हें आजाद चुनाव लड़ना पड़ा और वह जीत गए थे।

खुली नाराजगी जाहिर कर विज मीडिया के एक साथी की गाड़ी में निकले

आज के घटनाक्रम में भी विज अपनी खुली नाराजगी भरी यह बात जाहिर कर हरियाणा निवास से बाहर निकल गए। जहां मीडिया खड़ी थी। मीडिया के एक साथी की गाड़ी में वह बैठ वहां से चले गए। उस गाड़ी से उन्होंने लालडू तक का सफर किया। जहां उन्हें उनकी निजी गाड़ी लेने आ चुकी थी। अपनी गाड़ी से वह सीधा अपने निवास अंबाला लौट गए।

प्रदेशभर से हजारों दुखिया रोजाना पहुंचते थे विज के खुले दरबार में

हमेशा हर मौके पर अपना लोहा साबित करने वाले अनिल विज की नाराजगी को देख राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि अगर विज को जल्द नहीं मनाया गया तो उनकी खामोशी से आगामी लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल अनिल विज द्वारा लगाए जाने वाले जनता दरबारों का लोगों के दिलों दिमाग पर भारी प्रभाव है। रोजाना उनके निवास पर हजारों दुखिया लोगों के पहुंचने व उनकी समस्याओं के समाधान होने से विज प्रदेश के बेहद लोकप्रिय नेता हैं। वह फैसला ऑन द स्पॉट ठीक उसी प्रकार करते हैं जैसे एक पिक्चर में देवा की अदालत में फैसले होते दर्शाए गए थे। लेकिन वह मात्र एक फ़िल्म थी। यहां यथार्थ में लोग उन्हें रोजाना इस प्रकार के रोल में देखते हैं। जहां पीड़ित लोगों के प्रतिदिन पहुंचने पर विज कईयों को निलंबित तथा कईयों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते दिखते हैं।

मुख्यमंत्री परिवर्तन के दौरान अनिल विज जैसे बड़े नेता की अनदेखी के कारण आज के हालात में अनिल विज अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट के मामले में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहते। अनिल विज हरियाणा में बेहद चहेते नेता हैं और आम जनमानस में काफी लोकप्रिय हैं। अगर इसी प्रकार वह भाजपा से विमुख रहे तो राजनीतिक पंडितों के अनुसार होने वाले विधानसभा चुनाव में 15 से 18 सीटों पर तथा लोकसभा में 2 से 3 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को नुकसान झेलना पड़ सकता है।

सूत्र:- विज के व्यक्तिगत मित्र जेपी नड्डा जल्द कर सकते हैं उन्हें मनाने के प्रयास

हालांकि हरियाणा निवास से बाहर नाराज होकर निकले अनिल विज को करनाल सांसद संजय भाटिया ने मनाने के भासक प्रयास किए। लेकिन आत्म सम्मान को ठेस पहुंचने के कारण वह बिना ज्यादा बात किए ही मौके से चले गए। फिलहाल ऐसी सूचनाएँ हैं कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस मामले में जल्द हस्तक्षेप करके अनिल विज को मनाने के प्रयास कर सकते हैं। क्योंकि नड्डा और विज काफी गहरे व्यक्तिगत मित्र हैं। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि इस मामले में जल्द पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद अंबाला जाकर विज को मनाने के प्रयासों की सोच रहे हैं।

Content Editor

Saurabh Pal