कभी करता था बूट पॉलिश, अब कोर्ट में करेगा वकालत

2/21/2018 5:35:16 PM

भिवानी(अशोक भारद्वाज): जिनके हौंसले बुलंद होते हैं वो मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं। इस कहावत को भिवानी की झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले 30 वर्षीय ब्रिजेश कुमार ने हकीकत कर दिखाया है। ब्रिजेश घर खर्च के लिए शहर में जूतों पर पॉलिश और कबाड़ी का काम करता था और साथ में शिक्षा भी ग्रहण करता रहा। यही नहीं भिवानी के कोर्ट में भी ब्रिजेश ने वकीलों के जूतों पर पॉलिश की और आज उसी कोर्ट में वकालत करने के लिए तैयार हो गए हैं।

घुमंतु परिवार से रखते हैं संबंध
गौरतलब है कि परिवार के घुमन्तु रहते हुए 6 जनवरी 1988 को झोपड़ी में जन्मे ब्रिजेश कुमार अब उसी शहर की कोर्ट में वकालत करेंगे। जिस कोर्ट में वकीलों के जूतों को पॉलिश कर चमकाने का काम करते थे। अब ब्रिजेश का परिवार घुमन्तु नहीं है बल्कि भिवानी शहर की बस्ती में रहता है। 30 वर्षीय ब्रिजेश कुमार की मेहनत पर माता-पिता और उसके मार्गदर्शक गुरु काफी खुश हैं।

ब्रिजेश का मार्गदर्शन करने वाली सामाजिक संस्था नेता जी सुभाष चंद्र बोस युवा जागृत सेवा समिति के अध्यक्ष अशोक भारद्वाज, जिला बार एसोसिएशन, भीम राव अम्बेडकर सभा और बाल्मिकि समाज की तरफ से एडवोकेट कर्नल ब्रह्मानंद व एडवोकेट बलबीर सिंह गुजरानी ने बस्ती में उनका अभिनंदन किया। 

परिवार ने दिया पूरा साथ
ब्रिजेश कुमार ने कहा कि इस पद तक पहुंचने के लिए मेरे पिता सुदेश कुमार और मेरे गुरु मेरे मार्गदर्शक रहे। सामाजिक कार्यकत्र्ता अशोक भारद्वाज का बड़ा योगदान रहा है, जिन्होंने मेरी शिक्षा-दीक्षा में पूरा योगदान किया और मैं इनके प्रयास से बीए, एमए इंग्लिश व एलएलबी कर पाया। उन्होंने कहा कि वकालत में गुरु रहे एडवोकेट ब्रम्हानंद के साथ कोर्ट में वकालत करेंगे और अपनी सच्चाई व ईमानदारी के साथ हर वर्ग के लोगों न्याय दिलाएंगे। 

सपोर्ट न होने के कारण नहीं मिली सरकारी नौकरी
ब्रिजेश ने बताया कि मेरे पिता ने मेरी पढ़ाई लिए आज तक घर नहीं बनाया और आज भी हम झोपड़ी में ही रहते हैं। हम सात भाई-बहन हैं और हरियाणा व पंजाब सहित अनेक प्रदेश में हमारे समाज में मैं ही सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा हूँ।
वहीं ब्रिजेश ने सरकारी नौकरी न मिलने पर मलाल भी जताया कि उन्होंने बार-बार कई वर्ष तक नौकरी के लिए अप्लाई किया, लेकिन नॉट-बिना सपोर्ट के उन्हें नौकरी नहीं मिली। जबकि वे इसके हकदार हैं ,लेकिन नौकरी न मिलने पर उन्होंने कोचिंग सेंटर में काम किया और फिर हारकर एलएलबी की तरफ बढ़ा।

नौकरी न मिलने टूट गए थे ब्रिजेश 
बीच में नौकरी न मिलने से ब्रिजेश टूट गए थे और एक अच्छा स्टनो टाइपिस्ट होने के कारण उन्होंने एक लघु न्यूज पेपर में काम किया और साथ में अपनी शिक्षा को जारी रखी। ब्रिजेश ने राजस्थान से एलएलबी की और अब भिवानी कोर्ट में वकालत करेंगे।