Yamunanagar: प्रकृति की मार ने किसानों को रुलाया खून के आंसू, हजारों एकड़ फसलें हुई बर्बाद

3/7/2024 11:26:39 AM

यमुनानगर (सुरेंद्र मेहता) : पहाड़ी इलाकों के साथ सटे हरियाणा के यमुनानगर जिले के किसानों को प्रकृति काफी परेशान कर रही है। फरवरी महीने के अंत में जहां भारी ओलावृष्टि हुई जिससे फसलों पर गहरा प्रभाव पड़ा था तो वही मार्च की शुरुआत में ही लगातार तीन दिन बरसात हुई जिसके चलते फसलें बर्बाद होने की कगार पर है। 

किसानों ने बताया कि भले ही जिले का काफी एरिया डार्क जोन में आता हो। लेकिन यहां खेती योग्य बहुत सा एरिया ऐसा है जहां पानी की कमी नहीं है। यहां बरसाती नदियों में पानी आने से फसलें खराब हो जाती हैं। तीन दिन हुई लगातार बरसात से पथराला और सोम नदी उफान पर आई थी। नदियों की निकासी सही न होने के कारण इनका पानी खेतों में चढ़ गया और गेहूं, गन्ना और सरसों की फसलें खराब हो रही है। किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से क्षतिपूर्ति पोर्टल खोला गया है लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि वह पोर्टल पर बरसात, बाढ़, ओलावृष्टि के ऑप्शन में से क्या चुने।

वहीं कृषि अधिकारी ने बताया कि यमुनानगर में लगभग 225000 एकड़ में गेहूं, 7000 एकड़ में सरसों और 75000 एकड़ में गन्ने की फसल उगाई गई है। उन्होंने बताया कि ढ़ाई हजार एकड़ से ज्यादा गेहूं की फसल में 50 परसेंट से ज्यादा नुकसान हुआ है। लगभग 7500 एकड़ में 50 परसेंट तक नुकसान और 11600 एकड़ एरिया में 25 परसेंट तक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि क्षतिपूर्ति पोर्टल सरकार की तरफ से खोल दिया गया है और किसानों को इस पर पंजीकरण करवाने के बारे में कहा गया है। इसके बाद गिरदावरी कर किसानों को मुआवजा राशि भी दी जाएगी। किसानों का कहना है कि जल्द से जल्द उनकी फसलों की गिरदावरी की जाए। ताकि वह प्राकृतिक मार से उभर सके।

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Content Writer

Manisha rana