मारुति प्लांट हिंसा मामले में 31 दोषियों को आज सुनाई जाएगी सजा

3/17/2017 11:11:02 AM

गुरुग्राम:मानेसर स्थित मारुति प्लांट में 18 जुलाई, 2012 को हुई हिंसा में दोषी करार दिए 31 लोगों को आज सजा सुनाई जाएगी। इस मामले में 10 मार्च को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन्स कोर्ट ने 31 को दोषी करार दिया था, जबकि 117 को बरी कर दिया था। इससे पहले दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें भी सुनी जाएगी। वहीं, जिला मैजिस्ट्रेट हरदीप सिंह ने सुरक्षा कारणों से जिले में 25 मार्च तक धारा 144 लगा दी है।

गौरतलब है कि आईएमटी मानेसर स्थित मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के मजदूरों ने प्लांट में 18 जुलाई 2012 को उपद्रव मचाया था। इस दौरान प्लांट के एक सेक्शन में आग गई थी। इससे तब जनरल मैनेजर (एचआर) रहे देव की जलने से मौत हो गई थी। घटना के बाद मैनेजमेंट ने 546 मजदूरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था, वहीं 148 लेबर्स के खिलाफ केस दर्ज किया था। करीब एक महीने तक प्लांट में प्रोडक्शन ठप रहा था। घटना के 12 दिन बाद सभी 148 आरोपियों को चालान पकड़ा दिया गया था, जिनमें मुख्य आरोपी जियालाल समेत दर्जन भर यूनियन नेता शामिल थे। 546 बर्खास्त इम्प्लॉइज को काम पर वापस लेने और मारुति कांड की हाई लेवल जांच की मांग की गई। वहीं, पुलिस ने अदालत में 400 पेज की चार्जशीट पेश की। केस में 182 गवाह बनाए गए थे, जिनमें 30 डॉक्टर, 40 से ज्यादा पुलिसकर्मी और करीब मैनेजमेंट के 70 इम्प्लॉइज थे।


दोषियों को 3 ग्रुप में बांटकर की सुनवाई
31 दोषी लेबर को तीन ग्रुप में बांटकर सजा सुनाई गई है, मैनेजर अवनिश देव की मौत पहली मंजिल पर ही हुई थी। घटना के वक्त कंपनी की पहली मंजिल पर मौजूद 13 दोषियों में राम मेहर, संदीप ढिल्लों, राम बिलास, सर्वजीत सिंह, पवन कुमार, सोहन कुमार, प्रदीप गुज्जर, अजमेर सिंह, जिया लाल, सुरेश कुमार, अमरजीत, योगेश कुमार को धारा 302, 307, 436, 427, 125, 123, 452, 201, 120बी व 34 आईपीसी के तहत दोषी करार दिया है। पहली मंजिल पर दूसरे ग्रुप में मौजूद रहे राम शबद, इकबाल सिंह, जोगेन्द्र सिंह व प्रदीप को धारा 323, 325, 452, 147, 148, 149 के तहत दोषी करार दिया है। इसके अलावा कंपनी के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद 14 दोषियों में विजय लाल, आनंद, विशाल भरत, सुनील कुमार, प्रवीन कुमार, कृष्ण लंगड़ा, वीरेंद्र सिंह, हरमिन्दर सिंह सैनी, कृष्ण कुमार, नवीन, शिवाजी, सुरेंद्र पाल, प्रदीप कुमार और नवीन को धारा 323, 325, 427, 148, 149 के तहत दोषी करार दिया गया है।


बचाव पक्ष की एक वकील ने यह साबित करने कोशिश की कि बिल्डिंग में आग मजदूरों ने नहीं, बल्कि किसी और ने लगाई थी। उनके मुताबिक, अगर मजदूरों ने आग लगाई होती तो माचिस भी जल जाती। इससे साफ है कि मजदूरों के खिलाफ हत्या का केस चले, इसके लिए माचिस लाकर बाद में रख दी गई। उन्होंने दलील दी कि मजदूरों के खिलाफ मारपीट का मामला बन सकता है, हत्या का नहीं। बचाव पक्ष के ही एक अन्य वकील राजेंद्र पाठक ने बताया कि मैनेजमेंट के जिस आदमी ने एक मजदूर के ऊपर आग लगाने का आरोप लगाया था, वह उसे पहचान नहीं सका।

पिछले महीने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद आरपी गोयल की अदालत ने 10 मार्च की डेट तय कर दी थी। फैसले पर मजदूर किस तरह नजर रखे रहे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 9 मार्च को मारुति सुजुकी के सभी प्लांटों के हजारों मजदूर भूख हड़ताल पर रहे थे।