हरियाणा के दो वेटलैंड को रामसर स्थलों के रूप में मिली मान्यता

8/17/2021 5:43:49 PM

चंडीगढ़ (धरणी): गुजरात और हरियाणा से दो-दो आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों के रूप में मान्यता मिली है, जिससे भारत में ऐसे संरक्षित जैव विविधता स्थलों की कुल संख्या 46 हो गई है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया, गुजरात से थोल और वाधवाना और हरियाणा के सुल्तानपुर और भिंडावास रामसर सचिवालय द्वारा अंकित आर्द्रभूमि हैं।

वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन 2 फरवरी, 1971 को इरानी शहर रामसर में कैस्पियन सागर के दक्षिणी तट पर अपनाई गई एक अंतर सरकारी संधि है। यह 1 फरवरी, 1982 को भारत के लिए लागू हुआ। वे आर्द्रभूमि जो अंतर्राष्ट्रीय महत्व के हैं, उन्हें रामसर स्थल घोषित किया गया है। पिछले साल, रामसर ने भारत से 10 और आर्द्रभूमि स्थलों को अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्थलों के रूप में घोषित किया। इन साइटों को रामसर कन्वेंशन में जोड़ा गया है।

हरियाणा का भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य मानव निर्मित मीठे पानी की आर्द्रभूमि है। यह हरियाणा में भी सबसे बड़ा है। 250 से अधिक पक्षी प्रजातियां पूरे वर्ष अभयारण्य का उपयोग विश्राम स्थल के रूप में करती हैं। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान अपने जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में निवासी, शीतकालीन प्रवासी और स्थानीय प्रवासी जलपक्षियों की 220 से अधिक प्रजातियों का समर्थन करता है। इनमें से 10 से अधिक विश्व स्तर पर खतरे में हैं।

सुल्तानपुर राष्ट्रीय अभयारण्य
सुल्तानपुर राष्ट्रीय अभयारण्य भारत का एक सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय उद्यान है जो हरियाणा के सुल्तानपुर गांव, फरुखनगर, गुरुग्राम जिले और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर राष्ट्रीय पक्षी उद्यान सुल्तानपुर देसी प्रवासी परिंदों के कलरव से गुलजार होना सितंबर में शुरू होता है। मेहमानों के आगमन के साथ ही इसे अब पक्षी प्रेमियों के लिए खोलने की तैयारी की जाती है। एक अक्तूबर से पक्षी उद्यान खोल दिया जाएगा। वन्य जीव विभाग द्वारा पहला सप्ताह वन्य जीव सप्ताह के तौर पर मनाया जाएगा। इस वक्त लोग मुफ्त में सैर कर सकेंगे। औपचारिक तौर पर एक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा।

वन्य जीव विभाग विदेशी प्रवासी पक्षियों के आगमन को लेकर पूरी तैयारी में जुटा है। इसके लिए वन्य जीव विभाग की ओर से सुलतानपुर झील में मछलियां डाली गई हैं। अक्तूबर के पहले सप्ताह में एशियाई मूल के प्रवासी परिंदों के आने की उम्मीद है। उसके बाद यूरोपियन और साइबेरियन पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। उद्यान खुलने के बाद यहां विदेशी सैलानियों के आने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। हर साल करीब 20 हजार विदेशी सैलानी यहां पक्षियों के दीदार के लिए आते हैं।

यहां आने वाले कॉमन कूट ( पक्षी) के आने की गति काफी तेज है। कई प्रजातियों के पक्षियों का दल उद्यान में दिनभर मंडराता हुआ दिखाई देता है। पिछले वर्ष करीब एक लाख विदेशी मेहमान पक्षी आए थे। पहले यह उद्यान दो से तीन महीनों के लिए बंद किया जाता था, लेकिन स्थानीय पक्षियों के प्रजनन चक्र को ध्यान में रखते हुए अब चार से पांच माह के लिए बंद किया जाता है। इस वर्ष अप्रैल में सुल्तानपुर पक्षी उद्यान को बंद कर दिया गया था। पांच माह के बाद फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

उद्यान में पिकनिक मनाई तो लगेगा जुर्माना
वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन अधिनियम 1972 के तहत राष्ट्रीय पक्षी उद्यान सुलतानपुर को नो पिकनिक जोन बना दिया गया है। अगर किसी ने यहां पर पिकनिक मनाई या गंदगी फैलाई तो उसे उद्यान से बाहर निकाल दिया जाएगा या जुर्माना लगाया जाएगा। झील से अकसर प्लास्टिक की बोतलें, पॉलीथिन, खाली पैकेट और प्लास्टिक व कागज की प्लेटें बड़ी मात्रा में निकलती थीं। यह पक्षियों और पर्यावरण के लिए खतरा बन रही थीं। इसे देखते हुए इस बार ऐसा करने से रोकने के लिए जगह-जगह बोर्ड भी लगाए गए हैं।

मौजूद हैं ये स्थानीय पक्षी
कॉमन हूप, पैडी फील्ड पाइपेट, परपल सन बर्ड, लिटिल कॉरमोरेंट, इंडियन कॉरमोरेंट, कॉमन स्पूनबिल, ग्रे फ्रैंकोलिन, ब्लैक फ्रैंकोलिन, इंडियन रोलर, ह्वाइट-थ्रोटेड किंगफिशर, स्पोटबिल, पेंटेड स्ट्रोक, ब्लैक नेक्ड स्टोर्क, ह्वाइट इबिस, ब्लैक हेडेड इबिस, लिटिल इग्रेट, ग्रेट इग्रेट, कैटे्रल इग्रेट, क्रेस्टेड लार्क, रेड वेंटेंड बुलबुल, रोज रिंग्ड पैराकीट, यूरेशियन कोलारेड, लॉफिंग डोव, ग्रीन बी इंटर।

इस बार आने वाले पक्षियों के लिए खासतौर पर झील में कुछ मछलियां डाली गई हैं। अधिक मछलियां डालने के लिए मत्स्य विभाग को पत्र लिखा गया है ताकि विदेशी परिंदों को खाने-पीने की दिक्कत नहीं हो। वन्य जीव सप्ताह में मुफ्त में सैर करने का मौका मिलेगा। इसके बाद चार्ज लगेगा।

भिंडावास अभ्यारण
भिंडावास पक्षी अभयारण्य झज्जर से 15 किमी की दूरी पर है। दिल्ली से भी पर्यटक मात्र 3 घंटे में आसानी से अभ्यारण तक पहुंच सकते हैं। इस अभ्यारण में 250 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को देखा जा सकता है। इन पक्षियों में स्थानीय और प्रवासी दोनों होते हैं। यहां पर एक झील का निर्माण भी किया गया है। यह झील बहुत सुन्दर है। पर्यटक इस झील के किनारे सैर का आनंद ले सकते हैं और इसके खूबसूरत दृश्यों को कैमरे में कैद भी कर सकते हैं। यह अभ्यारण लगभग 1074 एकड़ में फैला हुआ है।

पारिस्थितिक गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो राजस्थान में अरावली पहाड़ियों से यमुना तक मसानी बैराज, मटनहेल वन, छुच्छकवास-गोधारी, खापरवास वन्यजीव अभयारण्य, भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य, आउटफॉल ड्रेन नंबर 6 (नहर में नहरीकृत भाग) से होकर जाता है। यह 411.55 हेक्टेयर अभ्यारण्य झज्जर से 15 किमी झज्जर-कसानी मार्ग पर और दिल्ली से 105 किमी दूर स्थित है। भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य से केवल 1.5 किमी दूर है खपरवास वन्यजीव अभयारण्य। निवादा, भिंडावास, चंदोल, चधवाना, बिलोचपुरा, रेडुवास और कसनी निकटवर्ती गांव हैं।

हरियाणा सरकार के वन विभाग ने 5 जुलाई 1985 को आधिकारिक तौर पर इस 411.55 हेक्टेयर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया। भिंडावास झील-पक्षी अभ्यारण्य में वर्षा जल, जेएलएन फीडर नहर और उसका पलायन चैनल पानी के मुख्य स्रोत हैं। यह उद्यान गुरुग्राम-झज्जर मार्ग पर, गुरुग्राम से 15 किलोमीटर दूर सुल्तानपुर गांव में स्थित है। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान का नाम पृथ्वीराज चौहान के वंशज, राजा हर्ष देव सिंह चौहान के बड़े पोते राजा सुल्तान सिंह के नाम पर रखा गया है। 

यह उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। जब यूरोप साइबेरिया और मध्य एशिया में ठंड बढ़ जाने पर झीलों आदि का पानी जम जाता है और धरती ठंडी हो जाती है तब वहां से पक्षी उड़कर यहां सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचने लगते हैं। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान हरियाणा का एक सर्वप्रमुख इको-पार्क (Eco-park) भी है और इसे "सलीम अली पक्षी विहार" के नाम से भी जाना जाता है। यह उद्यान साइबेरियन सारस के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त गोर बेसरा, सामान्य बेसरा, शिकरा, जंगली मैना, मैना, चित्तीदार उल्लू, गाय, बगुला, कोयल, सारस ,सफेद छाती जल मुर्गी आदि भी पाए जाते हैं। 

उपेक्षा के दौर से गुजर रहे भिंडावास पक्षी विहार को और अधिक सुविधाओं के साथ सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अध्ययन भी कराया जाएगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यहां अभयारण्य का दौरा करने के बाद झील, प्राकृतिक चेतना केंद्र और अभयारण्य में स्थापित वॉच टावर का भी दौरा किया।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि पर्यटन के क्षेत्र में अभयारण्य की विशेष पहचान होगी। प्रदेश की सबसे बड़ी आद्र्रभूमि को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, वहीं झील में देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। क्षेत्र के युवाओं को अभयारण्य में आने वाले पर्यटकों को गाइड के रूप में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। जिला प्रशासन उन्हें तीन महीने का विशेष प्रशिक्षण और पुरस्कार प्रमाण पत्र प्रदान करेगा।

मनोहरलाल ने कहा, 'मैंने भिंडावास पक्षी अभयारण्य के बारे में बहुत कुछ सुना था लेकिन पहली बार इस जगह का दौरा किया। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि हर साल सितंबर से मार्च तक दुनिया भर से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। अभयारण्य में पर्यटकों को प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त सुविधाओं में रात्रि प्रवास के लिए शिविर की व्यवस्था, झील का सौंदर्यीकरण और पक्षियों और वन्यजीवों के लिए एक औषधालय शामिल होगा। जल्द ही डिस्पेंसरी में एक सहायक की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा, इसके अलावा, गुरुग्राम में सुल्तानपुर पक्षी अभयारण्य के डॉक्टर ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। दिल्ली में जैन समुदाय द्वारा स्थापित वन्यजीवों के लिए अस्पताल से भी सहायता ली जाएगी।

Content Writer

vinod kumar