बस के आगे बेबस विद्यार्थी, छत और खिड़की पर लटकर कर रहे सफर

11/22/2019 1:26:06 PM

करनाल(मनोज): गत 12 अप्रैल का वो क्रूर हादसा जिसे आई.टी.आई. के विद्यार्थी आज भी याद कर सिहर उठते हैं। इसके बाद आई.टी.आई. चौक पर पुलिस और छात्रों के बीच जो हुआ, वह पूरे देश ने देखा। प्रशासन ने इससे भी कोई सबक नहीं लिया। न तो रोडवेज बसों की व्यवस्था सुधरी और न ड्राइवर व कंडक्टर संजीदा हुए। आई.टी.आई. चौक पर ट्रैफिक पुलिस का रवैया पहले जैसा ही है। 

रूह कम्पा देने वाले उस एक्सीडैंट के 7 महीने बाद भी हालात ज्यों के त्यों हैं। विद्यार्थी बस के आगे बेबस हैं। व्यवस्था पुराने ढर्रे पर रेंग रही है। इससे परेशान होकर वीरवार को गढ़ी बीरबल रूट के विद्यार्थी रोडवेज जी.एम. से मिलने पहुंचे। वह बाहर थे इसलिए सीधे ए.डी.सी. अनीश यादव का दरवाजा खटखटाया। इनमें काफी बच्चे आई.टी.आई. में पढऩे आते हैं। छात्रों ने प्रशासन को चेताया कि सम्भलिए... कहीं फिर से आई.टी.आई. चौक जैसा हादसा न हो जाए।

रूट पर बस नहीं रुकती, पीछे दौड़ें या पढ़ें
गढ़ी बीरबल रूट के विद्यार्थी अमित, हिमांशु, नितिन, गौरव, सुमित, दिलबाग, रवि, सौरव, विकास व विक्की ने कहा कि रोजाना बसों के पीछे दौडऩा पड़ता है। ड्राइवर स्टापेज से कभी आगे तो कभी पीछे बसें रोक देते हैं। कई बार तो बस में लटकते समय गिरकर चोटिल हो चुके हैं। समझ नहीं आता कि यह दौड़ कब तक जारी रहेगी। तिलकराज, जतिन व देवेंद्र ने कहा कि स्कूल-कालेज में लेट पहुंचते हैं। पढ़ाई हो नहीं पाती। कई बार प्रशासन को इससे अवगत करवा चुके हैं। अब ए.डी.सी. को समस्या बारे बताया है। उम्मीद है कि अब वह कोई हल निकालेंगे।

7 बसें कम, संख्या बढ़ाओ
विद्याॢथयों को हादसे से बचाने के लिए भाजयुमो के जिला उपाध्यक्ष विनय पोसवाल भी लघु सचिवालय में साथ आए। उन्होंने कहा कि गढ़ी बीरबल रूट से रोजाना सैंकड़ों की तादाद में विद्यार्थी करनाल आते हैं। इनमें काफी संख्या में बेटियां होती हैं। इस रूट के करीब 1,700 बच्चे तो करनाल व बड़ा गांव की आई.टी.आई. में पढऩे आते हैं। स्कूल-कालेज के बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। रूट पर 7 बसें हैं। इनमें 3 रोडवेज की हैं। ए.डी.सी. ने आश्वासन दिया कि रोडवेज की बसों की संख्या बढ़ाई जाएगी। प्रशासन व रोडवेज ने ध्यान नहीं दिया तो छात्रों के साथ परिवहन मंत्री से मिलेंगे।

इन रूट पर हालात बदतर
बस स्टैंड पर विद्यार्थियों दीपक, वरुण, आर्यन व रितिक ने बताया कि बसों के लिए रोजाना जंग लडऩी पड़ती है। कई बार तो कई-कई घंटे गांव के अड्डों पर इंतजार करना पड़ता है। करनाल-असंध, करनाल-कैथल, करनाल-मूनक व करनाल-काछवा के रूट पर बसों की दिक्कत पेश आ रही है। मजबूरी में सॢदयों में भी बसों के ऊपर बैठकर आना पड़ता है। खिड़की से गिरकर कई बार चोट भी लग जाती है।

हादसे के 2 बड़े प्वाइंट, व्यवस्था जीरो
करनाल में आई.टी.आई. चौक व सैक्टर-14 चौक पर स्थित गवर्नमैंट कालेज की वजह से भीड़ रहती है। सुबह व दोपहर बाद छुट्टी के समय यहां बसों की छत पर चढ़कर युवा सफर करते हैं। यह हादसे के बड़े प्वाइंट हैं। दोनों ही चौक पर व्यवस्था जीरो दिखी। विद्यार्थियों को देखकर ड्राइवर बसें रोकने में आनाकानी करते हैं।

रोडवेज की 160 लॉरी, 88 बसें प्राइवेट
रोडवेज के बेड़े में 160 लॉरी हैं। इनमें से काफी की हालत खराब ही रहती है। अधिक सवारी देखते ही ड्राइवर घबरा जाते हैं। यही वजह है कि कई बसें तो सड़क पर कम और वर्कशाप में ज्यादा रहती हैं। इधर, 88 बसें प्राइवेट हैं। 14 तो कुछ दिन पहले ही आई हैं। इन्हें ग्रामीण रूट पर लगाया गया है।

रविंद्र पाठक, जी.एम. रोडवेज, करनाल ने कहा कि बस आगे-पीछे रोकने की कोई शिकायत मेरे पास नहीं आई है। कोई शिकायत करेगा तो कार्रवाई करेंगे। गढ़ी बीरबल रूट के विद्याॢथयों का मेरे पास फोन जरूर आया था। गढ़ी बीरबल रूट पर 7 बसें दौड़ रही हैं। रोडवेज की 4 बसें हटाकर प्राइवेट लगाई गई हैं। इसकी वजह से दिक्कत आ रही होगी। वहीं मनोज राणा, जिला प्रधान, दि हरियाणा सहकारी परिषद समितियां लिमिटेड ने कहा कि प्राइवेट बसें हर स्टापेज पर रोकी जा रही हैं। छात्राओं के जीरो बैलेंस के पास इनमें मान्य हैं। छात्र व अन्य कर्मचारियों के पास मान्य नहीं हैं। गढ़ी बीरबल रूट पर प्राइवेट बसों की वजह से कोई दिक्कत नहीं है।

Edited By

vinod kumar