पेड़ काटने की सजा से बेखौफ वन माफिया, खुलेआम हो रही पेड़ों तस्करी

4/2/2019 1:35:02 PM

यमुनानगर(सुमित ऑबरोय): हरियाणा के यमुनानगर के कलेसर नेशनल पार्क की सीमा हिमाचल प्रदेश के सिंबलवाडा, नेशनल पार्क उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क और यूपी से जुड़ी हुई है। सभी प्रदेशों में वन काटने की सजा अलग-अलग निर्धारित की गई है लेकिन अन्य प्रदेशों की तुलना में हरियाणा में पेड़ काटने पर मिलने वाली सजा कम जिसके चलते तस्करों के साथ-साथ वन माफिया के हौसले बुलंद हैं और वह अपनी कार्रवाई को यहां रात के अंधेरों में ही नहीं दिन के उजाले में भी गुपचुप अंजाम दे रहे हैं।



जानकारी के अनुसार क्लेसर से अगले गांव ममन्दूबांस के जंगलों में भी ऐसे लोगों का कुलहाड़ा हरे भरे वृक्षों की छाती पर जमकर चल रहा है। वहीं साल के वृक्षों की कटाई भी खुलेआम की जा रही है। जिले के जंगलों और इसके आसपास हो रही कटाई प्रदेश की हरियाली को लील जाने वाली कार्रवाई की जा रही है।



बता दें कि वन्य प्राणी विहार और कलेसर नेशनल पार्क ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र में निजी भूमि पर खड़े पेड़ों को काटने के लिए विभागीय अधिकारियों से अनुमति ली जाती है। लेकिन आरोप है कि नियमों को धता बताकर चंद भ्रष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत से माफिया और अन्य लोग ऐसे काम को अंजाम देते हैं इतना ही नहीं पकड़े जाने पर  और आरोप सिद्ध होने के बाद सजा कम होने के चलते भी कोई परवाह नहीं करता।



दरअसल हरियाणा में खैर तस्करी के आरोप में कोई पकड़ा जाता है और कोर्ट दोषी करार देता है तो सजा 6 माह और 500 रुपये जुर्माना होता है किंतु यही अपराध यदि हिमाचल प्रदेश में करते हुए कोई पकड़ा जाता है तो सजा 3 साल और जुर्माना 10000 है उत्तराखंड में भी 2 साल तक की सजा और 10000 जुर्माने का प्रावधान है। हरियाणा के जंगलों के अलावा निजी स्थानों से भी पेड़ काटे जाने की अनुमति ली जानी आवश्यक है अनुमति न लिए जाने पर यदि विभागीय अधिकारी आरोपियों को पकड़ ले तो मामला सिद्ध होने के पश्चात केवल 500 रुपए जुर्माना कर आरोपी को छोड़ दिया जाता है।



डीएफओ यमुनानगर का कहना है कि अभी उनके संज्ञान में भी यह मामला आया है इस मामले में जांच की जाएगी। हालांकि किसी की निजी जमीन है लेकिन फिर भी उसके लिए परमिशन लेनी पड़ती है इस बारे में जांच की जाएगी अगर परमिशन नहीं होगी तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

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