अनोखी कला: लखनऊ के शिल्पकार जलालुद्दीन ने भैंस की हडि्डयों से बना दिया महिलाओं के श्रृंगार का सामान
3/24/2022 9:13:01 PM
फरीदाबाद (अनिल राठी) : स्लाटर हाउस में जिन भैंस का वध कर उनकी हडि्डयों को फेंक दिया जाता था जहां लखनऊ के शिल्पकार जलालुद्दीन ने उन्हें अपने हाथों की कला से महिलाओं के लिए श्रृंगार का सामान बना दिया। भैंस की हडि्डयों से बने श्रृंगार के सामान जलालुद्दीन अब दुनिया के कई देश अमेरिका, जापान, सउदी अरब, कुबैत, चीन, आस्ट्रेलिया तक बेच रहे हैं। इस बार कारबिन कला के क्षेत्र में इन्हें वर्ष 2001-2 में स्टेट अवार्ड और वर्ष 2009-10 में नेशनल अवार्ड तक मिल चुका है। यही कला इनके परिवार की आमदनी का जरिया बन गया है। 50 रुपए प्रति किलो की दर से हडि्डयों को खरीदकर उसे ज्वैलरी व डोकेरेशन का आकार देकर आठ हजार रुपए कीमत में बेच रहे हैं।
श्रृंगार के सामान को ऐसे देते हैं आकार
नेशनल अवार्डी शिल्पकार जलालुद्दीन ने बताया कि पहले बोन कारबिन कला मुगलों के जमाने में हाथी के दांत पर हुआ करती थी। लेकिन इस पर प्रतिबंध लगने के बाद अब ये कला बफैलो बोन पर की जाने लगी। स्लाटर हाउस से भैंस का वध होने के बाद उसका मांस निकलने के बाद बची हुई हडि्डयों को 50 से 80 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदकर लाते हैं। उसे छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर सुखाने के बाद छोटे छोटे औजारों से आकार देकर आकर्षक बनाते हैं।
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