सातवें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने की शिरकत

3/25/2018 10:25:07 PM

रोहतक(दीपक भारद्वाज): उपराष्ट्रपति रविवार को रोहतक में भारतीय प्रबंधन संस्थान में आयोजित सातवें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा के युग में विश्व स्तर की भाषा और संस्कृति का ज्ञान अवश्य होना चाहिए लेकिन हमें मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में किसी भी तरह की भावना का व्याख्यान करना आसान है। इसलिए सदैव अपनी मातृभाषा को प्रमोट करने के लिए कदम उठाने चाहिए।



एम वैंकेया नायडू ने कहा कि देश में प्राचीन समय से ही महिलाओं की उच्च ख्याति रही है। जिस प्रकार सभी नदियों के नाम महिलाओं पर रखे हुए हैं। उसी प्रकार शिक्षा की देवी सरस्वती, धन की देवी लक्ष्मी और रक्षा की देवी पार्वती को माना गया है। लेकिन वर्तमान समय में महिलाओं के प्रति सोच में कुछ बदलाव आ गया है।



उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को सामाजिक कार्य अपनी पूरी तन्मयता, क्षमता व विश्वसनीयता के साथ करनी चाहिए। युवाओं को अपनी असीम ऊर्जा का प्रयोग सार्थकता की ओर करना हमारे भारत देश की पहचान है। उन्होंने कहा कि संस्कारों के साथ जुड़ाव करके बढ़ोत्तरी और विकास को ध्येय मानते हुए क्रांति के साथ आगे बढऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेषकर सामाजिक रूप से बदलाव लाने के लिए सार्थक पहल करनी चाहिए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए सुदृढ़ संस्कार और विचार रखने चाहिए। 

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