मूक बधिर गोल्ड मेडलिस्ट के स्वागत में ग्रामीणों ने बरसाए फूल, ब्राजील में आयोजित खेलों में जीता है सोना

6/5/2022 10:24:18 PM

सोनीपत(राम सिंहमार): बोलने और सुनने में सक्षम ना होने के बावजूद सोनीपत के रहने वाले सुमित ने ब्राजील में आयोजित डीफ ओलंपिक 2022 में  गोल्ड मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया था। देश को गोल्ड दिलाने वाले सुमित आज गांव हरसाना कलां पहुंचे जहां ग्रामीणों ने फूल मालाओं के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। लोगों ने सुमित के ऊपर फूलों की वर्षा करते हुए अपनी खुशी जाहिर की। इस दौरान उनके कोच ने सरकार से गुहार लगाई है कि प्रदेश सरकार भी केंद्र सरकार की भांति मूक बधिर खिलाड़ी सुमित को बराबर का दर्जा दें, ताकि वह भी खेल क्षेत्र में अपना मनोबल कायम करते हुए आगे बढ़ सके।

मुखबधिर खिलाड़ियों के लिए प्रदेश सरकार की खेल नीति को लेकर सवाल हुए खड़े

बता दें कि इस बार भारत की तरफ से 65 खिलाड़ियों ने ब्राजील में आयोजित डीफ ओलंपिक में भाग लिया था। डीफ ओलंपिक में यह भारत का सबसे बड़ा दल था। भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार कमाल करते हुए देश को कुल 16 पदक दिलाए, जिसमें आठ स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक शामिल हैं। पदक तालिका में भारत नौवें स्थान पर रहा। मूक बधिर बच्चों के शानदार प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने विजेता खिलाड़ियों के साथ मुलाकात की थी। सुमित ने भी फ्री स्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में विदेशी पहलवान  को करारी शिकस्त देते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया था। सुमीत द्वारा देश के लिए सोना जीतने के बाद मुखबधिर खिलाड़ियों के लिए प्रदेश सरकार की खेल नीति को लेकर सवाल खड़े किए गए। सुमित के परिजनों का कहना है कि सरकार ने पैरालंपिक के मुकाबले सुमित को पांचवें हिस्से की धनराशि दी है। हरियाणा सरकार ने सुमित  को 1करोड़ 20 लाख रुपए दिए हैं।

कई नेशनल प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीत चुका है सुमित

11 साल की छोटी सी उम्र में ही सुमित कुश्ती के मैदान पर उतार दिया गया था। सुमित ने कई नेशनल प्रतियोगिताओं में खेलते हुए गोल्ड मेडल जीते हैं। साल 2017 में तुर्की में आयोजित ओलंपिक खेल में उसने पहली बार हिस्सा लिया था और वहां भी उसने मेडल पर कब्जा किया था। इस बार ब्राजील में आयोजित डीफ ओलंपिक गेम्स में फ्री स्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में 97 किलोग्राम वजन में खेलते हुए सुमित ने गोल्ड मेडल हासिल किया है। मूक बधिर खिलाड़ी होने के बावजूद सुमित ना सिर्फ देश के अन्य खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बने बल्कि उन्होंने खुद को कुश्ती के खेल में मजबूत बनाकर अपनी दक्षता को भी साबित किया है। उन्होंने साबित किया कि बिना बोले और बिना सुने भी अपने लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। सुमित के कोच ने बताया कि सुमित जैसे मुकबधिर खिलाड़ियों को कई चैलेंज फेस करने करने पड़ते हैं। ऐसे खिलाड़ी जो खुद बोल सुन नहीं सकते और अपनी पीड़ा भी किसी को बता नहीं सकते। ऐसे खिलाड़ियों को ना सिर्फ खेल के मैदान में बल्कि अपने दैनिक जीवन में काफी परेशानी होती है। ऐसे में गोल्ड मेडल लाना एक खिलाडी के संघर्ष को दर्शाता है।

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Content Writer

Vivek Rai