रेलवे में पैसों की बर्बादी का खेल, वाटर टैंक के साथ पाइप डालकर किया जा रहा गोलमाल

12/9/2019 9:44:45 AM

अम्बाला छावनी (हरिंद्र) : अम्बाला मंडल में इंजीनियरिंग विभाग द्वारा रेलवे का पैसा खुलेआम तथा तानाशाही द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। बिना किसी ड्राइंग, एस्टीमेट और अप्रूवल के एक बार फिर लाखों रुपए की बर्बादी करते हुए 600-700 मीटर नई पाइपलाइन डालने का काम शुरू किया गया है जबकि पहले की पाइप का कोई भी इस्तेमाल नहीं हो रहा। 

उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन मंडल प्रधान अशोक कुमार व सचिव विजय चोपड़ा ने बताया कि पुरानी रेलवे कालोनी में एक वॉटर टैंक नंबर 16 लगभग 11 साल पहले बनाया गया था। इसका उपयोग आज तक नहीं किया गया। यूनियन द्वारा इस मुद्दे को मंडल रेल प्रबंधक के समक्ष पी.एन.एम. तथा सहायक मंडल अभियंता इंजीनियरिंग के समक्ष इनफॉर्मल उठाने के बाद उस टैंक को उपयोग में लाने के नाम पर फिर लाखों रुपए व्यर्थ में बर्बाद किया जा रहा है।

जबकि वाटर टैंक में पहले से ही 3 तरफ से पाइपलाइन डली हुई है। पहले उस पाइपलाइन को उपयोग में न लाकर एक और चौथी पाइपलाइन को डलवाकर अपना तथा ठेकेदार की जेब भरने का काम इंजीनियरिंग विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा किया जा रहा है जबकि वह पाइप लाइन मात्र ठेकेदार तथा अधिकारी की जेब भरने का काम करेगी व उसका उपयोग असंभव है क्योंकि जो पाइप उस वाटर टैंक पर पानी चढ़ाने के लिए डाला जा रहा है, वह वाटर टैंक पर पानी चढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं है तथा जो पाइप पहले से वाटर टैंक में पानी चढ़ाने क लिए डला हुआ है, उसका साइज लगभग 6 से 8 इंच है जबकि नए डाले जा रहे पाइप का साइज 4 इंच का है।

इससे सिद्ध होता है कि इंजीनियरिंग विभाग के उच्चाधिकारी बेधड़क बिना किसी की परवाह किए रेल को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। नई पाइप लाइन की न तो गहराई सुनिश्चित की गई है और न क्वालिटी। ठेकेदार की लेबर बिना किसी रेल अधिकारी व इंजीनियर की सुपरविजन के कार्य कर रही है, अधिकारी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने में किसी कारण हिचकिचाते हैं। संगठन यह मांग करती है कि इस वाटर टैंक के बनने के बाद कितनी बार इसकी सफाई हुई, क्या इसे बुस्टर पंप के साथ जोड़ा गया, रेलवे का कितना पैसा खर्चा हुआ। इन सभी की जांच के बाद जिम्मेवारी तय की जाए। 

Isha