सतीश कौशिक के निधन से महेंद्रगढ़ में शोक की लहर: गर्मियों की छुटि्टयों में आते थे गांव, पढ़िए उनके जीवन के कई किस्से

3/9/2023 2:27:23 PM

महेंद्रगढ़ (प्रदीप बालरोडिया) : हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के कनीना उपमंडल के गांव धनौंदा सतीश कौशिक का पैतृक गांव है। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने बीती रात बुधवार को गुडगांव के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। आज वीरवार को चार्टर्ड प्लेन से उनके पार्थिव शरीर को मुंबई ले जाया जाएगा। जहां उनका अंतिम संस्कार होगा। 



गर्मियों की छुट्टियों में आते थे गांव 

बताया जा रहा है कि कनीना से दादरी रोड पर धनौंदा गांव सतीश कौशिक का पैतृक गांव है। सतीश कौशिक बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में गांव में आते थे। वह अपने गांव के लोगों से बहुत स्नेह करते थे। सतीश कौशिक हर साल गांव धनौंदा में सामाजिक कार्यों में भाग लेते थे व अपने बचपन के साथियों से पूरे गांव में घूमते थे।

सतीश कौशिक के चचेरे भाई सुभाष कौशिक ने बताया कि उनके चले जाने से सबसे अधिक क्षति उनको हुई है, क्योंकि वह उनका विशेष ध्यान रखते थे। गांव में साल में एक बार अवश्य आते थे और यहां वे बाजरे की रोटी सरसों का साग बड़े प्यार से खाते हैं। गांव में आने पर ऊंट गाड़ी पर बैठकर बहुत खुश होते थे। 



पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से एक करोड़ रूपये की दिलवाई थी ग्रांट


वहीं सतीश कौशिक के दोस्त राजेंद्र सिंह नंबरदार ने बताया कि जब भी वह गांव में आते थे। पूरा गांव में घूमते थे, बचपन में जब वह छुट्टियों में आते थे तो हम सभी गुल्ली डंडा, कबड्डी, कुश्ती खेलते थे। गांव में बने बाबा दयाल के जोहड़ के पास बनी में जाकर पील खाते थे और जाल के पेड़ पर मौज मस्ती करते थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि सतीश कौशिक ने हमें काफी वार मुंबई आने के लिए कहा लेकिन समय के अभाव के कारण हम वहां नहीं जा सके हमें बड़ा दुख हो रहा है। उनके साथी रहे सूरत सिंह ने बताया कि वह जब भी गांव में आते थे उनके यही रुकते थे और उनके साथ पूरा समय व्यतीत करते थे। समय-समय पर उनसे बातचीत कर गांव की जानकारी लेते रहते थे। उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से गांव को एक करोड़ रूपये की ग्रांट दिलवाई थी जिससे गांव में काफी विकास हुआ था। 



2010 में गांव के राधा कृष्णा मंदिर में मूर्ति की करवाई थी स्थापना  

पड़ोसी ठाकुर अतरलाल ने बताया जब वह बचपन में स्कूल की छुट्टियों में गांव आते थे। तब हम बड़ी मस्ती से गांव की गलियों में खेलते थे। जब वे वापस जाते थे तो हम सभी बड़े भावुक हो जाते थे और उनका अगले साल आने का इंतजार करते थे। आज उनके जाने से हमें बहुत क्षति हुई है। उन्होंने 2010 में गांव के राधा कृष्णा मंदिर में मूर्ति की स्थापना करवाई, गांव के जोहड की सफाई करवाई, सरकार के सहयोग से स्टेडियम बनवाया और सरकार से गांव में काफी ग्रांट भी उपलब्ध करवाई।

सतीश कौशिक के चचेरे भाई का लड़का सुनील ने बताया कि मेरे ताऊजी जब भी गांव में आते। पहले मुझे फोन के द्वारा सूचित करते। गांव में जो भी कार्यक्रम होता गांव के लोग जब उनको बुलाते तो वह अपने काम को छोड़कर गांव में पहुंचते थे। वह कहते थे कि यह मेरा गांव पैतृक गांव है मुझे इससे सबसे अधिक लगाव है। आज उनका जो अचानक छोड़कर चले जाना गांव के लिए सबसे बड़ी क्षति हुई है। सुबह से ही गांव में क्षेत्र के लोगों का हमारे घर आने-जाने का सिलसिला लगा हुआ है सभी उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करते हैं। सतीश कौशिक के दोनों सगे भाई ब्रह्म कौशिक व अशोक कौशिक मुंबई में रहते हैं।

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Content Writer

Manisha rana