पानी घोटाला: नगर निगम अधिकारियों ने किसे पिलाया 40 करोड़ का पानी ?

12/17/2018 10:54:30 AM

फरीदाबाद(पूजा शर्मा): फरीदाबाद नगर निगम में 40 करोड़ के पानी का एक और घोटाला उजागर हुआ है। जिसका खुलासा स्वयं नगर निगम के तत्कालीन निगमायुक्त ने किया है। उन्होंने बताया कि नगर निगम अधिकारियों, पानी माफियाओं व कुछ पार्षदों ने मिलकर सरकार के राजस्व को 40 करोड़ का चूना लगा दिया। पिछले वर्ष नगर निगम ने पानी की सप्लाई करने वाले प्राइवेट टैंकरों को 40 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। इतना पानी किस क्षेत्र में सप्लाई किया गया या किसने पीया इस बारे में नगर निगम अधिकारियों के पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। 



नगर निगम के आला अधिकारियों के अनुसार नगर निगम के पास भरपूर पानी है। उसके बावजूद लोग सर्दियों में भी पानी को लेकर नगर निगम पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, निगम के कुछ अधिकारी जानबूझकर पानी की किल्लत बनाकर रखते हैं। अधिकारी व पानी माफिया मिलकर पानी के इस खेल को अंजाम देते हैं। नगर निगम क्षेत्र में 500 करोड़ के रेनीवेल प्रोजैक्ट व 1600 ट्यूबवैलों से पूरे शहर में पानी की सप्लाई की जाती है।



जेएनयूआरएम प्रोजैक्ट के तहत इन रेनीवैलों का निर्माण किया गया था। इसके बावजूद मिलीभगत से पानी के इस गोरखधंधे को अंजाम दिया जा रहा है। दरअसल, जिन क्षेत्रों में पानी की किल्लत होती है, उन क्षेत्रों में अधिकारी ऐसी जगह ट्यूबवैल की बोरिंग करवाते हैं जहां ट्यूबवैल 2-3 महीनों में ही दम तोड़ जाते हैं और फिर शुरु होता है मिलीभगत से पानी का सारा खेल। 



कमीशनखोरी के इस खेल में कुछ पार्षदों के साथ मिलकर अधिकारी पानी माफिया से मिलीभगत कर प्राइवेट टैंकरों से सप्लाई करते हैं। यही कारण है कि शहर में जगह-जगह अवैध बोरिंग की जा रही है। अवैध बोरिंग के कारण ही भूजल स्तर नीचे जा रहा है। नगर निगम के तत्कालीन कमिश्रर मौहम्मद शाईन ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया और इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी है। उनके पदभार छोडऩे के बाद कोई अधिकारी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है।



वहीं डिप्टी मेयर ने इस मामले कड़ी जांच की बात कही है। उनका कहना है कि फरीदाबाद में पानी माफिया अधिकारियों की मिलीभगत से बड़े स्तर पर सक्रिय है। सरकारी बूस्टरों से प्राइवेट टैंकर भरे जा रहे हैं। इसकी जांच करनी चाहिए और मुख्यमंत्री को इसकी शिकायत की जाएगी क्योंकि यह बहुत बड़ा स्कैम है। यदि इसकी जांच करवाई जाए तो यह 400 करोड़ का भी निकल सकता है।



इस मामले में पार्षदों का कहना है कि कुछ अधिकारियों ने यह ठान लिया है कि उन्हें सरकार की छवि खराब करनी है। नगर निगम पहले ही 500 करोड़ के घाटे में हैं यदि इसी प्रकार का गड़बड़झाला चलता रहा तो निगम जल्दी हजारों करोड़ के घाटे में आ जाएगा। उनका कहना है कि कुछ क्षेत्रों में पानी की दिक्कत हो सकती है लेकिन इसके नाम पर इस तरह की अंधेरगर्दी नहीं चलेगी। उनका कहना है कि वे इस मामले को नगर निम सदन में उठाएंगे और जो अधिकारी इसमें शामिल हैं उन पर कार्यवाही की जाएगी तथा मुख्यमंत्री से इस मामले में मुलाकात कर दोषी अधिकारियों को सस्पेंड करने की मांग की जाएगी।

Rakhi Yadav