पत्नी पीड़ित पतियों ने पुरूष विरोधी कानूनों का पुतला फूंका, मुंडवाया सिर

4/8/2018 11:17:15 PM

फरीदाबाद(अनिल राठी): टीम पुरुष आयोग संस्था द्वारा फरीदाबाद के बीके चौक पर महिलाओं और पत्नियों द्वारा दहेज उत्पीडऩ, घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ ओर बलात्कार के झूठे मुकदमों में पुरुष विरोधी कानूनों का इस्तेमाल करने के विरोध में पत्नी पीड़ितों ने सामूहिक मुंडन भी करवाया। पुरूष आयोग संस्था के सदस्यों द्वारा महिला कानूनों के दुरुपयोग को लेकर शवयात्रा निकली गई और पुरुष विरोधी कानूनों का पुतला दहन किया गया। इस मौके पर दिल्ली - एनसीआर सहित कई राज्यों के पीड़ित पुरुष शामिल हुए।

संस्था के सदस्यों ने बताया की उनका उद्देश्य पुरुषो पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए समाज व प्रशासन को जागरूक करना है।  संस्था द्वारा उपरोक्त कानूनों में संशोधन करने के लिए भारत के मुख्य न्यायमूर्ति ओर कानूनमंत्री एवम प्रधानमंत्री से भी आह्वान किया गया।



दिल्ली के गजाधर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया की तीन दिसंबर 2013 को उसे रेप के झूठे आरोप में फंसा दिया गया था। अपनी सच्चाई बताते हुए उसने पुलिस के सामने लाख दुहाई दी, लेकिन उसकी नहीं सुनी गई और उसे 55 दिन तिहाड़ जेल में काटने पड़े। अंत में दो साल बाद अदालत ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया। यदि पहले इन्साफ मिल जाता तो उसे जेल नहीं काटनी पड़ती।

पीड़ित ने बताया की जेल से बाहर आने के बाद उसकी अपनी पत्नी ने उसे धारा 498 के तहत उस पर केस कर दिया। 2014 से अब तक वह केस अभी भी अदालत में चल रहा है। उसने बताया की आज वह पुरुष विरोधी कानून के तहत प्रदर्शन कर रहे हैं, ताकि मर्दों की भी सुनी जाए और उन्हें झूठे मुकदमो में ना फंसाया जाए।



टीम पुरुष आयोग के संस्थापक नरेश मेहंदीरत्ता ने कहा की महिलाओ की तरह मर्दों को भी इंसान समझा जाए। उन्होंने कहा कि कानून कहता है की महिला और पुरुष बराबर है जबकि मर्द जहाँ अपने परिवार का पालन पोषण करने का जिम्मा उठाता है, वहीं उसे ससुराल की मदद का भी जिम्मा उठाना पड़ जाता है।

इसलिए बहु को चाहिए की वह सिर्फ अपने ही हक न जताए बल्कि पुरुषों के भी अपने हक का ध्यान रखे। उन्होंने कहा की आज उन्होंने इसी आवाज को उठाते हुए मुंडन करवाया है और शव यात्रा निकाली है. उन्होंने मांग रखी है कि महिला थानों की तर्ज पर पुरुषों के लिए भी ख़ास सेंटर नियुक्त किए जाने चाहिए। 

Shivam