क्या हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) को वैधानिक दर्जा प्रदान करेगी खट्टर सरकार ?

5/13/2020 11:33:18 AM

चंडीगढ़(धरणी)- अगले दो माह अर्थात जुलाई- 2020 के दूसरे सप्ताह में  हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) के पांच सदस्यों - नीलम अवस्थी , अमर नाथ सौदा , भोपाल सिंह , विजय पाल सिंह और प्रदीप सिंह का कार्यकाल, जिसे गत वर्ष जुलाई। 2019 में एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया था, वह समाप्त हो जाएगा हालांकि आयोग के चेयरमैन (अध्यक्ष ) भारत भूषण भारती का  कार्यकाल अगले वर्ष मार्च- 2021 तक है। अब यह देखने लायक होगा कि  मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार वर्तमान सदस्यों को ही आगे विस्तार देगी  या नए सदस्यों की  नियुक्ति करेगी ?

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम आज से पांच वर्ष पूर्व  मार्च- 2015 में  खट्टर सरकार द्वारा भारत भूषल  भारती को तीन वर्षो  के लिए HSSC का चेयरमैन एवं नीलम अवस्थी, देवेंदर सिंह, अमर नाथ सौदा, भोपाल सिंह एवं विजय पाल सिंह को सदस्य लगाया गया था. इसके सवा वर्ष बाद  जुलाई, 2016 में आयोग में पांच और सदस्यों  डॉ. एच.एम. भारद्धाज, राजबाला सिंह, प्रदीप जैन, सुरेंद्र कुमार और डॉ. हंस राज यादव की नियुक्ति भी तीन वर्षों  के लिए  कर दी गयी ।आज से दो वर्ष पूर्व   मार्च, 2018 में  खट्टर सरकार ने  चेयरमैन भारती को तो तीन वर्ष का लगातार दूसरा कार्यकाल  प्रदान कर दिया परन्तु उनके साथ मार्च, 2015  में नियुक्त पांच अन्य सदस्यों का कार्यकाल केवल बढ़ाकर  11 जुलाई 2019 तक कर किया. हालांकि गत वर्ष  आयोग के दस सदस्यों में से केवल पांच को एक वर्ष के कार्यकाल का विस्तार  दिया जो अगले  दो महीनो में समाप्त हो जाएगा.  मौजूदा प्रावधानों के अनुसार आयोग में चेयरमैन के अलावा दस अन्य सदस्य लगाए जा सकते हैं.।

बहरहाल आज से लगभग दो वर्ष पूर्व जुलाई- 2018 में हेमंत ने प्रदेश  के मुख्यमंत्री और तत्कालीन मुख्य सचिव दीपेन्दर  सिंह ढेसी एवं अन्य को अलग अलग याचिकाएं भेजकर आज से लगभग 50 वर्ष पहले हरियाणा सरकार की एक गजट नोटिफिकेशन द्वारा  28 जनवरी 1970 को अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड (SSSB ), जिसका  नाम दिसंबर 1997 में बदलकर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC ) कर दिया गया , का मूल गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अंतर्गत किये जाने  एवं आज तक उसी नोटिफिकेशन में समय समय पर तत्कालीन राज्य सरकारों द्वारा नोटिफिकेशन मार्फत  संशोधन किये जाने पर कानूनी प्रश्न चिन्ह उठाया परन्तु यह अत्यंत खेदजनक है आज तक राज्य सरकार की ओर  से उन्हें इस सम्बन्ध में कोई  जवाब प्राप्त नहीं हुआ।

 हेमंत ने बताया की संविधान के उक्त अनुच्छेद में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के  सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं सेवा सम्बन्धी अधिनियम एवं नियम बनाने का प्रावधान है एवं किसी भी प्रकार से भी इस अनुच्छेद के तहत उक्त सरकारी कर्मचारियों के  कोई  चयन एजेंसी अर्थात बोर्ड या आयोग गठित नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगे बताया की  केंद्र सरकार द्वारा भी अपने कर्मचारी चयन आयोग (SSC ) जिसे पहले अधीनस्थ सेवाएं आयोग कहा जाता था का सर्वप्रथम  गठन नवंबर 1975 में भारत सरकार के कार्मिक विभाग के  रेसोलुशन (संकल्प ) द्वारा किया गया था. इसके बाद मई 1999 में SSC का  पुर्नगठन भी  कार्मिक मंत्रालय के नए रेसोलुशन द्वारा किया गया अर्थात दोनों बार इसके गठन में संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक का प्रयोग एवं उल्लेख कहीं नहीं किया गया जिससे स्पष्ट होता है की हरियाणा द्वारा उक्त प्रावधान में हरियाणा कर्मचारी आयोग का गठन कानूनी तौर एवं संवैधानिक दृष्टि से  उचित नहीं है. हेमंत ने बताया की मार्च -2018 में खट्टर सरकार द्वारा विधानसभा से बनाया गया हरियाणा ग्रुप डी कर्मचारी (भर्ती एवं सेवा की शर्तें ) अधिनियम 2018  जिसमे आज तक तीन बार संशोधन भी किया गया है वह संविधान के अनुच्छेद 309 के अंतर्गत आता है 

जहाँ तक हरियाणा लोक सेवा आयोग और संघ लोक सेवा आयोग का विषय है  तो हेमंत ने बताया कि केंद्र सरकार अर्थात  संघ  और राज्य सरकारों के लोक सेवा आयोगों के गठन के  लिए संविधान के अनुच्छेद 315 में स्पष्ट उल्लेख एवं प्रावधान  है. उन्होंने आगे बताया की चूँकि  सितम्बर 1953 में तत्कालीन संयुक्त पंजाब में SSSB को अनुच्छेद 309 में बनाया गया संभवत : इसीलिए हरियाणा ने भी वर्ष 1970 में ऐसा किया हालांकि पंजाब द्वारा भी ऐसा किया जाना कानूनन उपयुक्त नहीं था.  

हेमंत ने यह भी बताया की आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला सरकार ने दिसंबर 2004 में हरियाणा विधानसभा द्वारा  हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग अधिनियम 2004 बनवा आयोग को वैधानिक मान्यता प्रदान कर दी थी  हालांकि इसके केवल कुछ ही समय बाद मार्च 2005 में जब विधानसभा चुनावो के बाद  भूपिंदर हूडा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने नई विधानसभा के पहले ही सत्र में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (निरसन ) विधेयक 2005 सदन से पारित करवाकर  आयोग को मिला कानूनी दर्जा समाप्त करवा दिया हालांकि दोनों सरकारों ने यह तब राजनीतिक करने के फलस्वरूप किया था. बहरहाल, तब से लेकर आज तक यह आयोग सरकारों द्वारा समय समय पर जारी नोटिफिकेशनो से ही संचालित किया जा रहा है जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.   

 

Isha