Haryana politics: हरियाणा में क्या समय से पहले भंग होगी विधानसभा या लगेगा राष्ट्रपति शासन ?

punjabkesari.in Wednesday, Aug 21, 2024 - 01:30 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा की मौजूदा सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर को समाप्त हो रहा है, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से इस बार समय से पहले 1 अक्टूबर को मतदान और 4 अक्टूबर को मतगणना करवाने का ऐलान किया गया है। ऐसे में जहां हरियाणा में इस बार समय से पहले नई सरकार का गठन हो जाएगा।

वहीं, मौजूदा सरकार के अंतिम मानसून सत्र को लेकर भी जनता के मन में कईं प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। मसलन की क्या सरकार अपना अंतिम मानसून सत्र बुलाएगी, क्योंकि पिछला सत्र 13 मार्च को बुलाया गया था। ऐसे में छह महीने से पहले यानि 12 सितंबर से पहले सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाना पड़ेगा। क्या सरकार सत्र ना बुलाकर समय से पहले ही विधानसभा को भंग कर देगी या फिर हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लगेगा ? अपने दर्शकों और पाठकों के लिए हमने इन सभी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की और उसे आप तक पहुंचा भी रहे हैं।

इसे लेकर हमने हरियाणा विधानसभा के पूर्व स्पेशल सचिव और संविधान के जानकार राम नारायण यादव से खास बातचीत की। आप भी जानिए कि हरियाणा के मौजूदा राजनीतिक हालात में सरकार के पास क्या विकल्प है और सरकार क्या कुछ कदम उठा सकती है ?

6 महीने के भीतर बुलाना होगा सत्र

संविधान के जानकार रामनारायण यादव की माने तो किसी भी विधानसभा में एक सत्र से अगले सत्र के अधिकतम समय में 6 महीने का अंतर नहीं होना चाहिए, बल्कि दूसरा सत्र 6 महीने के भीतर ही बुलाना पड़ेगा। हरियाणा में विधानसभा का पिछला सत्र 13 मार्च को बुलाया गया था। इसलिए मौजूदा सरकार को 12 सितंबर से पहले विधानसभा का सत्र बुलाना ही पड़ेगा। ऐसा नहीं होने पर सरकार संविधान के अनुसार काम करती हुई नहीं मानी जाएगी। 

सरकार के पास केवल 2 विकल्प

रामनायारण यादव बताते हैं कि हरियाणा में राजनीति के मौजूदा हालात को देखे तो ऐसे में सरकार के पास केवल 2 ही विकल्प बचते है। इनमें सरकार चाहे तो एक दिन के लिए भी विधानसभा का सत्र बुला सकती है। इसके लिए सरकार को कोई 15 दिन पहले सूचना देने का कोई प्रावधान नहीं है। सरकार चाहे तो 24 घंटे के नोटिस पर भी एक दिन का विधानसभा सत्र बुला सकती है। यदि सरकार 12 सितंबर से पहले विधानसभा का सत्र नहीं बुलाती है तो उस सूरत में सरकार को विधानसभा भंग करनी पड़ेगी और एक कार्यवाहक सरकार के रूप में कार्य करना होगा। 

...लग जाएगा राष्ट्रपति शासन

उन्होंने बताया कि हरियाणा के मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए यदि सरकार ना तो विधानसभा का सत्र बुलाती है और ना ही विधानसभा को भंग करती है तो इस सूरत में धारा 356 लागू मानी जाएगी। इन हालात में सरकार की सभी शक्तियां राज्यपाल के पास चली जाएगी और हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा।

नई सरकार बनने पर भी पुरानी सरकार बुला सकती है सेशन !

राम नारायण यादव बताते हैं कि भारतीय संविधान में विधानसभा सेशन को लेकर एक और प्रावधान है, जिसमें नई विधानसभा यानि नई सरकार बनने के बावजूद पुरानी सरकार भी विधानसभा का सेशन बुला सकती है, जिसे लेम डक सेशन कहते हैं। हरियाणा में चूंकि सरकार के पास विधानसभा सत्र बुलाने के लिए केवल 12 सितंबर तक का ही समय है तो ऐसे में सरकार के पास लेम डक सेशन बुलाने का अब समय नहीं है।

हालांकि 152 और 1956 में इस प्रकार से सेशन बुलाए जा चुके हैं। लेम डक सेशन का मतलब यह होता है कि जब किसी राज्य में नई विधानसभा का गठन हो जाए और पुरानी सरकार का कार्यकाल बकाया हो और उनका विधानसभा सेशन भी ड्यू हो तो वह लेम डक सेशन बुला सकती है। हालांकि हरियाणा में मौजूदा हालात में ऐसा नहीं हो सकता है। इसलिए अब सबकी नजरें सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कदम पर लगी है, क्योंकि सेशन को लेकर सरकार की ओर से लिए जाने वाले फैसले के बाद ही आगे की तस्वीर साफ हो पाएगी।

 

 

 


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Content Writer

Isha

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