हरियाणा की जेलों में महिला कैदी हो रही बेहाल

9/7/2018 12:09:18 PM

चंडीगढ़(अर्चना): हरियाणा की जेलों में कैद महिलाओं की स्थिति ठीक नहीं है। कई जेलों में एच.आई.वी. पॉजीटिव पेशैंट्स की जांच व इलाज के लिए सुविधा नहीं है। सूत्रों की मानें तो सोनीपत की जेल में हाल ही में 10 एच.आई.वी. पॉजीटिव पेशैंट्स सामने आए हैं परंतु अन्य जेलों में कैदियों के लिए एच.आई.वी. जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है। राज्य की अन्य जेलों को सोनीपत जेल की तर्ज पर एच.आई.वी. जांच सुविधा उपलब्ध करवाए जाने के लिए हरियाणा राज्य महिला आयोग ने निर्देश जारी किए हैं।

आयोग ने यह भी कहा है कि एच.आई.वी. पेशैंट्स भले महिला हो या पुरुष, इन सबको रोहतक और करनाल की जेलों में ट्रांसफर कर देना चाहिए, ताकि उन्हें रोहतक पी.जी.आई. से एच.आई.वी. का ट्रीटमैंट आसानी से मिल सके। चूंकि एच.आई.वी. पेशैंट्स में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और वह जल्द संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए ऐसे कैदियों के लिए जेल में 24 घंटे 7 दिन डाक्टर्स की मौजूदगी अनिवार्य है परंतु जेलों में मेडिकल ऑफिसर्स की मौजूदगी 24 घंटे 7 दिन नहीं होती।

आयोग ने राज्य की जेलों को भेजी सिफारिश में कहा है कि जेलों में मौजूद एच.आई.वी. पॉजीटिव महिलाओं की संख्या के बाबत आयोग को सूचित किया जाए। आयोग ने यह भी सिफारिश की है कि महिला कैदियों को देखने के लिए गायनोकोलॉजी डाक्टर सप्ताह में 2 बार जेल में आकर जांच करे। आयोग ने एक महीने में राज्य की सोनीपत, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, फरीदाबाद, जींद, झज्जर की जेलों का निरीक्षण किया है। इस दौरान जेलों में साफ-सफाई, टॉयलेट्स और कैदियों के रखरखाव की स्थिति तो नियमों के अंतर्गत पाई गई है परंतु नैशनल कमीशन फॉर वूमैन की गाइडलाइंस को ध्यान में रखते हुए जेलों में महिला कैदियों की यौन उत्पीडऩ संबंधित शिकायत के लिए किसी भी तरह की इंटर्नल कम्पलेंट कमेटी का गठन नहीं किया गया है। 

आयोग ने जेल सुपरिंटैंडैंट्स को लिखा है कि प्रिवैंशन ऑफ सैक्सुअल हरासमैंट ऑफ वूमैन एट वर्कप्लेस एक्ट-2013 के तहत जेलों में कमेटी का गठन अनिवार्य है। यह भी कहा गया है कि अगर कोई महिला जेल में कैदी से मिलने आती है और उसके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है तो वह महिला भी जेल की कमेटी को इस बाबत शिकायत दे सकती है। आयोग ने कहा है कि महिला कैदियों के बच्चों के टीकाकरण से संबंधित वैक्सिनेशन कार्ड महिला कैदियों के पास ही होने चाहिए, ताकि मांओं की यह जानकारी में हो कि उनके बच्चों के कौन से इंजैक्शन पैंडिंग हैं। 
 

Rakhi Yadav