अब श्रमिक नहीं कर सकेंगे हड़ताल, भुगतना पड़ सकता है जुर्माना अौर सजा

12/11/2017 5:58:09 PM

कैथल(रणवीर पराशर): भले ही केंद्र सरकार प्रस्तावित इंडस्ट्रीयल रिलेशन कोड यानि आई.आर.सी. को रोजगारोन्मुखी बता रही हो परंतु श्रमिक संगठनों से जुड़ा यह मसौदा श्रमिक विरोधी माना जा रहा है क्योंकि श्रमिक व कामगार अब न तो हड़ताल कर सकेंगे और न ही किसी प्रकार का विरोध। प्रस्तावित आई.आर. कोड के जरिए यह संदेश चला गया है कि केंद्र सरकार मजदूरों के हड़ताल या विरोध करने के बुनियादी अधिकारों को छीनना चाहती है। भारतीय मजदूर संघ यानि बी.एम.एस. ने खुद को इससे अलग रखा है। मजदूर संघ पदाधिकारियों ने कहा है कि आई.आर. कोड लागू होने के बाद श्रमिक संगठनों के लिए हड़ताल करना, हड़ताल का नेतृत्व करना या हड़तालियों की मदद करना पूरी तरह से गैर-कानूनी हो जाएगा। ऐसे सभी व्यक्तियों, जो हड़ताल या प्रदर्शन के आयोजन में मदद करेंगे, पर 25 से 50 हजार रुपए का जुर्माना व एक महीने की सजा का भी प्रावधान है।

ट्रेड यूनियन बनाना होगा मुश्किल
कांग्रेस से संबद्ध इंटक के सचिव पी.जे. राजू ने कहा कि आई.आर. कोड के प्रस्तावित मसौदे में श्रमिकों के लिए ट्रेड यूनियन बनाना या हड़ताल पर जाना मुश्किल बनाया गया है। संगठित क्षेत्र में सिर्फ कर्मचारियों को यूनियन बनाने की मंजूरी होगी। किसी बाहरी व्यक्ति को श्रम संगठन का अधिकारी नहीं बनाया जा सकेगा। गैर-संगठित क्षेत्र में 2 बाहरी प्रतिनिधि ट्रेड यूनियन के सदस्य हो सकते हैं। अभी संस्था के कर्मचारी संगठन हड़ताल पर जाने के लिए कम्पनी को नोटिस देते हैं लेकिन नए प्रावधान में नोटिस देने के समय से ही समझौता वार्ता शुरू मान ली जाएगी और यूनियनों को हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं होगा। सामूहिक आकस्मिक अवकाश को भी हड़ताल माना जाएगा। 

मजदूर संगठनों का कथन
आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस एटक के केंद्रीय सचिव विद्यासागर गिरी ने कहा कि मसौदे में ऐसी कम्पनियों को बिना सरकारी मंजूरी के छंटनी का अधिकार दिया है जिनके पास 300 तक कामगार हों। अभी 100 कामगारों वाली कम्पनियों को बिना मंजूरी के छंटनी का अधिकार है। कई अन्य मजदूर संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि बिना मंजूरी के छंटनी व नियुक्ति से उद्योगों में हायर एंड फायर एक स्थायी तस्वीर बन जाएगी। भारतीय मजदूर संघ बी.एम.एस. के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने कहा कि उनकी यूनियन इस कोड को पूरी तरह खारिज नहीं कर रही है। इसमें कुछ सार्थक तत्व भी हैं। जैसे श्रम कानूनों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता को अधिक जुर्माना होगा लेकिन बी.एम.एस. से जुड़े अन्य नेता इस पर सहमत हैं कि बाहरी व्यक्तियों को यूनियन से बेदखल किया जाना गलत है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानून के जानकारों का कहना है कि श्रम सुधारों का प्रस्तावित मसौदा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। श्रम व रोजगार मंत्रालय द्वारा एक मसौदा तैयार किया गया था, जिसके तहत ट्रेड यूनियन अधिनियम औद्योगिक विवाद अधिनियम और औद्योगिक रोजगार स्थाई आदेश अधिनियम को एक करके ओद्यौगिक संबंधों के लिए एकल आई.आर. कोड यानि औद्योगिक संबंधों की संहिता बनाने का प्रस्ताव किया गया है। सरकार ने इसी साल 14 सितम्बर को सभी ट्रेड यूनियनों को इस प्रस्तावित मसौदे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया था। मान्यता प्राप्त 11 यूनियनों में से 10 ने सरकार के इस प्रस्तावित मसौदे को खारिज कर दिया है।

केंद्र सरकार का स्टैंड
केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री संतोष गंगवार के एक सहायक अधिकारी ने बताया कि ऊपर वर्णित बैठक में सरकार ने मजदूर संगठनों की सभी बातें ध्यान से सुनी थी और जहां जरूरी हुआ वहां संशोधन के साथ आगे बढ़ने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार देश में कारोबारी माहौल सुगम बनाने व रोजगार के नए अवसर प्रदान करने को आतुर है।

श्रमिकों के हित होंगे मजबूत : सैनी
हरियाणा के श्रम मंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि आई.आर. कोड एक ड्राफ्ट है, जिस पर केंद्र सरकार सभी पक्षों के विचार सुनने के बाद ही आगे बढ़ेगी। केंद्र की धारणा यह है कि श्रमिकों के कल्याण के लिए बनाए गए 20-25 कानूनों को एक या 2 कानून व कोड में सम्मिलित कर दिया जाए ताकि श्रमिक भी बेहतर संरक्षण में रहें व सुविधाओं के साथ काम कर सकें और मालिकों से भी अनावश्यक टकराव से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए हरियाणा सरकार का प्रस्ताव में कोई दखल नहीं है। मेरी जानकारी के अनुसार प्रस्तावित आई.आर. कोड से श्रमिकों के हित मजबूत होंगे तथा रोजगार के अवसर अधिक से अधिक उपलब्ध होंगे।