दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर किया इम्प्लांट, 86 वर्ष के बुजुर्ग को लगाया

9/29/2018 1:30:58 PM

गुडग़ांव(ब्यूरो): सुशांत लोक स्थित पारस अस्पताल ने वल्र्ड हार्ट-डे से पूर्व 86 वर्षीय एक बुजुर्ग में दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर लगाने का दावा किया है। ब्लॉकेज की समस्या से परेशान मरीज में पहले जटिल एंजियोप्लास्टी की गई जिसके बाद माइक्रा नाम के सबसे छोटे पेसमेकर को इम्प्लांट किया गया। यह इम्प्लांट ओपन हार्ट सर्जरी करने के बजाय मरीज के पैर के जरिए स्टंट की तरह अंदर ले जाया गया।

पारस अस्पताल के एसोसिएट डायरैक्टर इंटरवेंशनल कार्डिलॉजी डा. अमित भूषण शर्मा ने बताया कि बेहद गंभीर स्थिति में मरीज को अस्पताल लाया गया था। उस समय मरीज के दिल की घड़कन 28 प्रति मिनट थी। स्थिति का पता लगने के बाद जांच में पाया गया कि एल.ए.डी. 99 प्रतिशत ब्लॉकेज है। ऐसे में सर्जरी के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग का खतरा था, लिहाजा ओपन हार्ट सर्जरी के बदले माइक्रा पेसमेकर पैरों के जरिए इम्प्लांट किया गया। 

उन्होंने बताया कि इस में पेसमेकर इम्प्लांटेशन ने भारत में पहली बार जानलेवा ब्लॉकेज से पीड़ित 80 साल के बुजुर्ग की जान बचाई है। इस तरह का एक अन्य मामला 2016 में ब्राजील में दर्ज हुआ है। भारत में अब तक कुल 12 मामलों में माइक्रा ट्रान्सकैथेटर पेसिंग सिस्टम (टी.पी.एस.) इस्तेमाल किया गया है। डा. शर्मा ने बताया माइक्रा पेसमेकर लगाने से ब्लीडिंग का खतरा नहीं रहता, चूंकि इसमें कोई चीरा और टांके नहीं लगते। इसलिए संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता है। ऐसे में 15 प्रतिशत मामलों में पेसमेकर की केबल टूट जाती है और सर्जरी बाद समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। 

क्या है माइक्रा पेसमेकर
माइक्रा ट्रांसकैथेटर पेसिंग सिस्टम (टी.पी.एस.) एक लेटेस्ट हार्ट डिवाइस है, जो कि सबसे एडवांस पेसिंग तकनीक से बनी है। इसका आकार अन्य उपलब्ध पेसमेकर की तुलना में 10 गुना छोटा करीब 50 पैसे के सिक्के के आकार का होता है। यह किसी विटामिन कैप्सूल जैसा होता है, जिसका वजन 2 ग्राम होता है। जबकि परम्परागत पेसमेकर का वजन 25 ग्राम होता है। इस डिवाइस को यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ.डी.ए.) को वर्ष 2017 में अप्रूवल मिला। लीडलैस होने के कारण इसमें किसी तार की जरूरत नहीं होती। 

12 वर्ष होती इसकी मियाद    
चिकित्सकों के मुताबिक माइक्रा पेसमेकर की मियाद 12 साल होती है। इसके अलावा इसमें मोबाइल की तरह छोटी बैटरी होती है जो इसकी मियाद खत्म होने से पहले अलार्म की तरह बजने लगेगा। जानकारी होने के बाद इसे फिर से दोबारा इम्प्लांट किया जा सकेगा। दिल को सामान्य गति से धड़कना सुनिश्चित करने के लिए लो-एनर्जी इलैक्ट्रिक पल्स का इस्तेमाल करता है।
 

 
 

Rakhi Yadav