हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे करने वाली याशी कम्पनी को सरकार ने किया ब्लैक लिस्ट, करोड़ों रुपये की बकाया  पेमेंट रोकी

10/25/2023 8:04:25 PM

समालखा (विनोद लाहोट) : एक तरफ प्रॉपर्टी आईडी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के अधिकांश जिलों से इसको लेकर आए दिन किसी न किसी तरह के घपले सामने आते रहते हैं। प्रॉपर्टी आईडी सर्वे  में बड़े घपले के लगते रहे आरोपों और भारी जन आक्रोश के  बावजूद  पिछले  2 वर्षों  से  खट्टर  सरकार जिस प्रॉपर्टी  आईडी सर्वे को एकदम सही बता रही  थी, उस  सर्वे कार्य को करने वाली याशी कम्पनी के खिलाफ़ सरकार ने अब सख्त कार्रवाई की है। प्रॉपर्टी आईडी  सर्वे  में घोटाले की  शिकायत पर लोकायुक्त  जस्टिस हरि पाल वर्मा का नोटिस मिलते ही खट्टर सरकार ने सभी नगर पालिकाओं, नगर निगमों, नगर परिषदों में  प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली जयपुर की याशी कम्पनी  को  ब्लैक  लिस्ट करते हुए इसके कुल 8,06,36,069 रुपये के बकाया बिलों के भुगतान पर भी रोक लगा दी है। ठेका लेते वक्त कम्पनी द्वारा जमा कराई गई लाखों रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारन्टी राशि सरकार ने जब्त की है और टेंडर एग्रीमेंट  भी  रद्द  कर  दिया है।

आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने खट्टर सरकार द्वारा  सभी 88 शहरों  में करवाए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे को बड़े घोटाले का आरोप लगाते  हुए गत 19 जुलाई को शहरी निकाय मंत्री कमल गुप्ता, शहरी  निकाय विभाग के तत्कालीन निदेशक सहित  88 अधिकारियों  के खिलाफ़ लोकायुक्त कोर्ट में शिकायत दर्ज  कराई थी। इन आरोपी अधिकारियों  में 12 आईएएस भी शामिल हैं। शिकायत में  घोटाले  की  जांच  सीबीआई  से  करवा कर  आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, सर्वे करने वाली याशी कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने व भुगतान की  गई 57.55  करोड़ की  पेमेंट ब्याज़ सहित वसूल  करने  की  मांग  की थी। कपूर  की  इस  शिकायत का संज्ञान  लेते हुए लोकायुक्त ने गत 8 अगस्त को नोटिस भेज कर सरकार से 8 नवंबर तक जांच  रिपोर्ट  तलब  की है।

लोकायुक्त जस्टिस हरि पाल वर्मा को आरटीआई दस्तावेज़ों व शपथ पत्र सहित  दी शिकायत में  पानीपत के आरटीआई  एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया था कि प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अंतर्गत सभी 88 शहरों  में  करवाए गए  प्रॉपर्टी आईडी  सर्वे  में बड़ा  घोटाला प्रदेश सरकार के संरक्षण में किया गया है। इस सर्वे में 95 पर्सेंट तक गलतियां होने के बावजूद कॉन्ट्रैक्टर फर्म  याशी कम्पनी को 57.55 करोड़ की पेमेंट फर्जी  वेरिफिकेशन के आधार पर कर दी। सभी कुल 42,75,579 संपत्तियों के  मालिक इन त्रुटियों को ठीक कराने के लिए दलालों के हाथों लुट रहे  हैं और धक्के खा रहे हैं, हाहाकार  मची  हुई है लेकिन जनता की कोई सुनने वाला नहीं।

घोटाले को ऐसे अंजाम दिया 

टेंडर वर्क ऑर्डर की शर्त संख्या 37.6.7 के अंतर्गत याशी कम्पनी द्वारा  किए  प्रॉपर्टी  आईडी सर्वे की सभी नगर निगमों के आयुक्तों, नगर  परिषदों के  ईओ व सभी नगर पालिकाओं के सचिवों ने मौका  वेरीफिकेशन करनी थी। सर्वे  कार्य की मौका वेरिफिकेशन सही पाए जाने  पर  ही इन अधिकारियों ने साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करने थे, तभी पेमेंट होनी थी। लेकिन सभी 88 शहरों  के अधिकारियों  ने अपनी-अपनी  वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे  को शत-प्रतिशत सही बताते  हुए साईन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करके याशी कम्पनी को  57.55 करोड़ रुपये की  पेमेंट  करवा दी। जबकि  ग्राउंड लेवल पर कम्पनी  का  सर्वे पूरी तरह बोगस निकला, इससे जनता में हाहाकार मच गई। सर्वे में किसी का नाम गलत, किसी का एरिया गलत, किसी का टैक्स गलत तो कहीं रिहायशी प्रोपर्टी को कमर्शियल बना दिया तो  कहीं  कमर्शियल प्रॉपर्टी को रिहायशी बना दिया। कहीं किराएदार को ही बिल्डिंग मालिक बना दिया।

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Content Editor

Mohammad Kumail