हरियाणा के युवाओं में 4 गुणा बढ़ी नशे की लत

6/2/2017 10:08:18 AM

चंडीगढ़ (दीपक बंसल):जिस हरियाणा के युवा की पहचान हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन को लेकर होती है वही अब नशे के दलदल में फंसते जा रहे हैं। हालांकि राज्य पुलिस हर वर्ष हजारों मामले दर्ज करती है, नशा मुक्ति केंद्र भी सुधारने का प्रयास करते है लेकिन फिर भी युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है। हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग, सामाजिक अधिकारिता विभाग, एन.जी.ओ., गैर-सरकारी और पी.जी.आई. एम.एस. रोहतक की ओर से नशा मुक्ति केन्द्र चलाए जा रहे हैं।

पी.जी.आई. रोहतक की ओर से राज्यस्तरीय नशा मुक्ति केंद्र के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो राज्य में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में चार गुणा वृद्धि हुई है। आंकड़ा केवल उन युवाओं का है, जो नशा छोड़ने इच्छा के साथ नशा मुक्ति केंद्रों में भर्ती हुए। केंद्रों तक न पहुंचने वाले युवाओं की संख्या इससे कई गुणा अधिक है। राज्य में फैल रहे नशों के प्रचलन का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पी.जी.आई. रोहतक में 2011 के दौरान जहां 842 युवा भर्ती हुए थे। वहीं, 2015 में संख्या बढ़कर 3390 तक पहुंच गई। 2016 की पहली छमाही तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार नशा मुक्ति केंद्र में 1639 लोगों का पंजीकरण हुआ है। 

गौरतलब है कि पिछले वर्ष स्वास्थ्य मंत्री की फतेहाबाद की पुलिस अधीक्षक के साथ तू-तू-मैं-मैं हो गई थी। मंत्री का कहना था कि पुलिस नशा कारोबारियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रही है। विवाद के बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक का तबादला हो गया था।

70 प्रतिशत नशेड़ियों की उम्र 17 से 35 के बीच 
नशा मुक्ति केन्द्रों में कार्यरत डाक्टरों के अनुसार करीब 70 प्रतिशत नशा करने वालों की उम्र 17 से 35 वर्ष के बीच है। यही नहीं केंद्रों में आने वाले अधिकतर युवा अथवा अधेड़ उम्र वाले जहां सुविधा संपन्न परिवारों से जुड़े हैं। वहीं, अधिकतर संख्या ग्रामीण अंचल के युवाओं की है। केंद्रों में उपचार के लिए आने वालों में अधिकतर कालेज तथा विश्वविद्यालय स्तर के विद्यार्थी हैं, जो कई तरह के दबाव के चलते ड्रग्स की तरफ कदम बढ़ाते हैं। राज्य के नशा मुक्ति केंद्रों भर्ती होने वाले युवाओं में अधिकतर ऐेसे हैं, जिन्हें नशा को घोलकर पीने की आदत है। एक सर्वेक्षण से बात सामने आई है कि केंद्रों में भर्ती होने वालों में अधिकतर आठ जिलों अंबाला, हिसार, गुड़गाव, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, नारनौल तथा कैथल के लोग शामिल हैं।

पुलिस भर्ती के दौरान खुली थी पोल
खिलाड़ियों की ओर से उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए नशे के प्रयोग की बात तो अक्सर सुनने में आती थी लेकिन हरियाणा में पुलिस भर्ती के दौरान नशे के प्रयोग के कई मामले मामले सामने आए थे। यही नहीं चार अभ्यार्थियों की तो मौत भी हो गई थी। इस मामले पर विपक्ष ने भी खूब हो-हल्ला मचाया था लेकिन फिर सब ठंडे बस्ते में चला गया। गौरतलब है कि जुलाई, 2016 में कुरुक्षेत्र में पुलिस भर्ती के दौरान युवकों की मौत ने साफ कर दिया है कि भाग ले रहे युवाओं ने नशीले पदार्थ का सेवन किया था। भर्ती के दौरान दौड़ में लगातार युवक बेहोश हो रहे थे, जिनमें से तीन की मौत हो गई। पुलिस और अफसरों को नशे के कनैक्शन का शक हुआ तो जांच-पड़ताल शुरू की गई, जिसमें चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। भर्ती स्थल के आसपास नशे की दवाओं के रैपर और इंजैक्शन भी मिले थे। शहर में दवा की दुकानों पर छापे मारे गए तो वहां से काफी मात्रा में नशीली दवाएं और इंजैक्शन बरामद हुए।

स्मैक तथा हैरोइन जैसे नशों ने भी पांव पसारे 
हरियाणा में पुलिस विभाग की ओर से समय-समय पर नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती रहती है, लेकिन फिर भी उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य में अफीम, चरस, चूरा-पोस्त, गांजा, स्मैक तथा हैरोइन जैसे नशों ने भी पांव पसार लिए हैं। दिल्ली के साथ लगते गुरुग्राम, सोनीपत, फरीदाबाद जैसे जिलों में आधुनिक नशे तथा पंजाब व राजस्थान के साथ लगते जिलों में अफीम, चूरा-पोस्त व चरस आदि की तस्करी ज्यादा होती है।

पड़ोसी राज्यों के साथ लगते हैं 18 जिले: 22 में से 18 जिले पड़ोसी राज्यों के साथ लगते हैं। राज्य सरकारें पड़ोसी राज्यों को दोषी ठहराकर पल्ला तो झाड़ लेते हैं लेकिन भाजपा सरकार इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं कर रही है। गाय पालन, योगा दिवस, गीता जयंती समारोह से धर्म की तरफ तो रुझान बढ़ता है लेकिन युवाओं को नशे से दूर करने के लिए भी कुछ कदम उठाए जाने जरूरी हैं। दस वर्ष तक सत्ता संभालने वाली कांग्रेस तथा पौने तीन साल से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए किसी भी पड़ोसी राज्य के साथ मिलकर कोई संयुक्त अभियान नहीं चलाया है।