अपनों को तरसाया, बाहर वाहवाही

10/1/2015 7:36:53 PM

हिसार,(अनिल असीजा): दीया तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ करते हुए केंद्र सरकार ने चिर प्रतिद्वंद्वी देश पाकिस्तान में आई आपदा पर तो जी खोलकर धन राशि और राहत सामग्री भेजी, मगर उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा में अपनों को तरसाते हुए केंद्र सरकार ने वहां के लोगों की सहायता से अपने हाथ पीछे खींच लिए। हिसार निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मनोज कड़वासरा द्वारा मांगी गई आरटीआई में यह भी खुलासा हुआ है। 

केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को 2010-11 में 114 करोड़ 70 लाख रुपए की आर्थिक मदद बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ की जबकि बीते साल उत्तराखंड त्रासदी के बाद केंद्र ने वहां की सरकार को एकमुश्त 474.5 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी थी। आरटीआई से आश्चर्यजनक खुलासा यह भी हुआ है कि केरल सरकार ने भी अलग से 2010-11 में पाकिस्तान को 5 करोड़ रुपए की राशि दी। पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों को 114 करोड़ 70 लाख रुपए की राहत और देश के लोगों की राहत के लिए यह राहत पैकेज आधे से भी कहीं कम पौने पांच सौ करोड़ रुपए दिया गया। 
आरटीआई से जुटाई जानकारी में उत्तराखंड सूबे के हरिद्वार, टिहड़ीवाल, नैनीताल जनपद के जिलाधीशों ने लिखित में दिया है कि केंद्र सरकार ने आपदा पीड़ितों के पुर्नवास के लिए सीधे तौर पर कोई सहायता नहीं की है। उत्तराखंड सरकार ने भी अपने प्रदेश में आई प्रलय पर सहायता सूची उपलब्ध कराते समय लिखा कि केंद्र सरकार ने यहां रहने वाले लोगोंं के लिए कोई सहायता अपनी राशि से नहीं दी। इसी तरह वर्ष 2005-06 में पाक अधिकृत कश्मीर के लिए 22 करोड़ रुपए की राहत सामग्री और 25 मिलीयन अमेरिकी डॉलर की मदद राशि दी। इसी तरह जापान में आए भूकम्प में केंद्र सरकार ने 2 करोड़ 73 लाख 85 हजार 395 रुपए की राहत सामग्री पर खर्च किए। इसी तरह 2008-09 में भारत ने पाक में आई बाढ़ पर 1 करोड़ 1 लाख रुपए दिए। केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी एवं अपर सचिव ने मांगी गई सूचना के जवाब में लिखा है कि उत्तराखंड प्रलय के बाद जमीन पर राहत के वितरण का उत्तरदायित्व संबंधित राज्य सरकार का है।