गुजवि लैब घोटाला : विजीलैंस जांच पूरी, कई नपेंगे!

2/4/2016 8:51:51 PM

हिसार (अनिल असीजा): गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं अभियांत्रिकी विभाग में करीब 10 साल पहले बनी पानी व हवा की जांच के लिए बनी लैब में घोटाले की मुहर विजीलैंस विभाग ने लगा दी है। करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुई विजीलैंस विभाग ने जांच की रिपोर्ट क्लोज कर दी है। सूत्र बताते हैं कि विजीलैंस जांच में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की जा रही है। लैब घोटाले में जांच का जिन्न बाहर आने से पहले ही शिक्षकों में खलबली मच गई है। 

बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण एवं अभियांत्रिकी विभाग को एयर एक्ट 1981 व वाटर एक्ट 1974 के तहत इंडस्ट्रियों और औद्योगिक इकाइयों की पानी व वायु जांच की अनुमति दी थी। मकसद तो यह था कि अनुमति के बाद लैब से होने वाली आमदनी गुजवि के कोष में जाएगी और इससे विश्वविद्यालय की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। शुरूआत में तो सब कुछ ठीक रहा मगर इसके बाद भ्रष्टाचार की शिकायतें गुजवि प्रशासन को मिलने लगीं। तात्कालीन गुजवि प्रशासन ने शिकायत के बाद भी जब कोई गंभीर कदम नहीं उठाया तो गुजवि के कुछ शिक्षकों ने शिकायत स्टेट विजीलैंस ब्यूरो को दी। 

विजीलैंस ने 9 जुलाई 2014 को जांच शुरू की और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा विभाग के कुछ शिक्षकों के बयान भी कलमबद्ध किए। उल्लेखनीय है कि गुजवि के पर्यावरण एवं अभियांत्रिकी विभाग में लैब तो साल 2014 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बंद करने के निर्देश जारी किए थे,मगर लैब की आड़ में कैमिकल घोटाला और बोगस टेस्ट की शिकायत विजीलैंस को दी गई थी। 

शिकायत में यह लगे थे आरोप

लैब के लिए दिशानिर्देशों का कभी पालन नहीं किया गया। पर्यावरण एवं अभियांत्रिकी विभाग के जो पीएच.डी. के विद्यार्थी थे, उनको कंटलजैंसी की राशि दी गई। जबकि वह यूजीसी से अलग से स्कॉलरशिप ले रहे थे। कैमिकल ऐसे खरीदे गए जो यूज नहीं होते थे। 63 में से 55 कैमिकल लैब में इस्तेमाल भी नहीं होने थे फिर भी खरीदे गए। विजीलैंस जांच में यह भी सामने आया कि कुछ कैमिकल खरीदे तो लैब के लिए गए थे मगर उनका इस्तेमाल निजी कार्यों के लिए किया गया। विभाग में लाखों रुपए की थिम्बल खरीद (एयर टेस्ट में काम करने योग्य) की गई। इसका कोई अता-पता नहीं चला कि वह थिम्बल कहां गई। बोगस टैस्ट जो कभी विभाग में हुए ही नहीं। विवि पैन नम्बर नहीं दिए जाने से गुजवि की आमदनी के 13 लाख केंद्र में खाते में चले गए। वर्ष 2005 से लैब की कभी सालाना रिपोर्ट तैयार नहीं की गई जबकि बजट समय-समय पर मिलता रहा। 

आरटीआई से हुआ था खुलासा

विजीलैंस जांच से पूर्व लैब घोटाले की बात सामने लाने में आरटीआई से मांगी गई सूचना से चौंकाने वाली बातें सामने आई थीं। विभाग के पास उसका संतोषजनक रिकार्ड नहीं पाया गया था। बायोऐसे टेस्ट (मछली लेकर टेस्ट करना), मरकरी टेस्ट, सेलेनियम टेस्ट,आरसेनिक टेस्ट के नाम पर भारी अनियमितताएं पाई गईं। आरोप है कि इन टेस्ट की आड़ में सरकार को लाखों रुपए का चूना लगाया गया।