प्रदेश में इनेलो-बसपा गठबंधन की चर्चाएं गर्म

4/17/2018 11:30:41 AM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा का इतिहास गवाह है कि इनेलो आज तक बिना गठबंधन के सत्ता में कभी भी नहीं आई। अतीत में इनेलो का ज्यादातर राजनीतिक गठबंधन होता रहा है। इनेलो व भाजपा ने 2014 में अलग-अलग चुनाव 90 सीटों पर लड़े। भाजपा अकेले अपने दम पर सत्ता में आ गई इसलिए चुनावों से पूर्व तालमेल की कोई भी संभावना नहीं बनती। इनेलो चुनावों से पहले गठबंधन चाहती है, जिससे उनके वोट प्रतिशत में इजाफा हो।

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में इनेलो व बसपा में गठबंधन की चर्चाएं आजकल पूरी तरह से गर्म हैं। इनेलो-बसपा गठबंधन होगा या नहीं, की केवल चर्चा से ही कई राजनीतिक दल अभी से सकते में हैं। लोकसभा के आम चुनावों को एक साल का समय बचा है लेकिन विभिन्न राजनीतिक दलों ने चुनावी बिसात पर अपनी गोटियां बिछाने का काम अभी से शुरू कर दिया है। पिछले 14 साल से सत्ता का वनवास काट रहे हरियाणा के मुख्य विपक्षी व क्षेत्रीय दल इंडियन नैशनल लोकदल ने सत्ता में वापसी की राह तलाशना शुरू कर दिया है। 

सूत्रों के अनुसार इनेलो के आला नेताओं ने दलित मतदाताओं के आधार वाली बहुजन समाज पार्टी से तालमेल बढ़ाना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि इनेलो नेता पिछले काफी समय से बसपा के हरियाणा के नेताओं से सम्पर्क में हैं। नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने भी 2 अप्रैल को भारत बंद को समर्थन दे सबको चौंका दिया व उसमें उनका दलित प्रेम भी झलका। जातीय समीकरणों के आधार पर राजनीतिक गणित में इनैलो अपने खाते हरियाणा के अंदर 30 प्रतिशत व बी.एस.पी. के खाते में 20 प्रतिशत वोट मानकर चल रही है। इस गणना में इनेलो मानती है कि अगर 40 प्रतिशत मत भी उन्हें पड़ जाएं तो सत्ता मिल जाएगी।

बसपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी नरिंद्र कश्यप ने पिछले दिनों रोहतक में मीडिया से कहा था कि दोनों दलों के प्रमुख मायावती और ओम प्रकाश चौटाला के बीच इस बारे में बातचीत हो चुकी है और दोनों नेता सीटों के बंटवारे के बारे में समझौते पर पहुंच चुके हैं। अजय सिंह चौटाला ने सीधे शब्दों में इसे स्वीकार नहीं किया, मगर यह कहा कि कांग्रेस व भाजपा को छोड़ कर किसी भी दल से वार्ता कर गठबंधन से कोई एतराज नहीं है। हालांकि इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ अपनी भेंट को औपचारिक मुलाकात बताया है।

इनेलो व बसपा के बीच गठबंधन कोई नई बात नहीं
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में इनैलो व बसपा के बीच गठबंधन की बात कोई नई नहीं है। दोनों दलों के बीच 1998 में भी गठबंधन हुआ था और तब इनेलो-बसपा के बीच क्रमश: 6-4 पर समझौता हुआ था। यानी 6 सीटों पर इनेलो व 4 सीटों पर बसपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनेलो ने 6 में से 4 सीटें जीती थीं, जबकि बसपा को 4 में से सिर्फ 1 सीट पर ही विजय हासिल हुई थी। इस बार दोनों दलों के नेता लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनावों के लिए भी पहले ही लिखित समझौता करने के मूड में हैं और विधानसभा की टिकटों का बंटवारा भी पहले ही कर लेने के इच्छुक हैं ताकि विधानसभा चुनावों के समय टिकटों को लेकर कोई विवाद न हो।

अंतिम राजनीतिक लड़ाई लड़ रहा चौटाला परिवार: कृष्ण बेदी
हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि इनेलो की राजनीतिक इच्छाशक्ति खत्म हो रही है। अपने वजूद को बचाने के लिए इनेलो नेताओं को अब गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस मोर्चा बनाने की याद आई है। उन्होंने कहा कि बसपा अध्यक्षा मायावती को जन्मदिन की बधाई देने वाली इनेलो क्यों भूल रही है कि चुनाव परिणाम अपेक्षा अनुरूप नहीं आने पर उन्होंने बसपा से ही गठबंधन तोड़ लिया था।

इनेलो को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। इनेलो ने वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन करते हुए नारा दिया था कि ‘रख कर पत्थर छाती पर, मोहर लगाओ हाथी पर’। एक ओर तो चुनाव परिणाम जारी हो रहे थे, जबकि दूसरी ओर उसी शाम इनेलो ने बसपा के साथ गठबंधन तोडऩे का ऐलान कर दिया था। आज फिर से बसपा के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा चौटाला परिवार अपनी अंतिम राजनीतिक लड़ाई लड़ रहा है। 
 

Deepak Paul