चमकी बुखार से निपटने के लिए अस्पतालों में नहीं कोई प्रबंध

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 10:56 AM (IST)

हिसार(ब्यूरो): बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार ने कहर बरपा रखा है। इस खतरनाक बीमारी से बिहार में अब तक करीब 150 बच्चों की मौत हो चुकी है। लोगों का यही कहना है कि यह बीमारी हिसार में न फैले, फिर भी अगर यह बीमारी हिसार में फैल जाती है तो जिले के किसी भी सामान्य अस्पताल प्रशासन ने इस बीमारी से निपटने के प्रबंध नहीं कर रखे हैं।

जिले में तहसील स्तर के सामान्य अस्पताल तो दूर हिसार के सामान्य अस्पताल में ही चमकी बुखार से निपटने के प्रबंध नहीं हैं। अस्पताल के बच्चा वार्ड में डाक्टर व स्टाफ नर्स की कमी है। चमकी बुखार से बिहार में हो रही बच्चों की एकाएक मौत के बाद भी हिसार सामान्य अस्पताल प्रशासन सुस्ती में है। यह बीमारी बिहार नजदीक सटे राज्यों में भी फैलनी शुरू हो गई है।

चमकी बुखार की पहचान
चमकी बुखार में बच्चे को लगातार तेज बुखार चढ़ा ही रहता है। बदन में ऐंठन होती है। बच्चे के दांत पर दांत चढ़े रहते हैं। कमजोरी के कारण से बच्चा बार-बार बेहोश होता है। यहां तक कि शरीर भी सुन हो जाता है। कई समय पर ऐसा भी होता है कि अगर बच्चों को मारने पर दर्द भी नहीं होता। जबकि आम बुखार में ऐसा नहीं होता है। 

बच्चा वार्ड में रहती है उमस भरी गर्मी
हिसार के सामान्य अस्पताल में दिन-रात उमस भरी गर्मी रहती है। रात के समय बच्चे व उनके परिजन मच्छरों से भी परेशान रहते हैं। मरीजों ने बताया कि डाक्टर भी कम ही संभालने आते हैं। 3-3 दिन में टैस्टों की रिपोर्ट आती है। रिपोर्ट के बिना डाक्टर इलाज शुरू नहीं करते हैं। 

क्या है चमकी बुखार
मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार, दिमागी बुखार, जापानी इंसेफलाइटिस, नवकी बीमारी) एक गंभीर बीमारी है। इसका समय रहते इलाज करना चाहिए। यह बीमारी अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलती है। इस बीमारी से 1 साल से 15 साल की उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pooja Saini

Recommended News

static