पायलट राजेश श्योराण की मौत पर बारवास गांव में मातम पसरा

12/22/2015 11:54:04 PM

भिवानी (अशोक भारद्वाज): दिल्ली के शाहबाद मोहम्मदपुर गांव के निकट मंगलवार सुबह क्रैश हुए बीएसएफ के सुपरकिंग विमान के को-पायलट राजेश श्योराण की मौत का समाचार मिलते ही बारवास गांव व पूरे क्षेत्र में मातम छा गया। भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी दुलीचंद श्योराण के छोटे पुत्र 36 वर्षीय राजेश श्योराण एसएसबी में डिप्टी कमांडेंट थे। इस समय बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर तैनात थे। 

गांव का बच्चा-बच्चा इस होनहार नौजवान से परिचित था और जब समाचार चैनलों पर बीएसएफ के विमान क्रैश होने की न्यूज फ्लैश होने लगी तो बारवास गांव के लोग किसी अनहोनी से आशंकित हो उठे। कुछ ही समय बाद दिल्ली से राजेश श्योराण की मौत होने की दुखद खबर पहुंच गई और परिजन दिल्ली के लिए रवाना हो गए।

राजेश श्योराण के पिता स्व.दुलीचंद श्योराण भारतीय नौसेना में अधिकारी थे। उनके परिवार में सबसे बड़ी बहन सरोज,बड़े भाई मा.सोमवीर श्योराण हैं और सबसे छोटे राजेश श्योराण थे। उनका बचपन पिता के साथ मुंबई में बीता और बाद में गांव आने पर उन्होंने हिसार के डीएन कालेज से बीएससी और चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की। शुरू से ही सेना के माहौल में पढे-लिखे राजेश के मन में शुरू से ही देश सेवा का जज्बा था और वे एसएसबी में बतौर एसिस्टेंट कमाडेंट भर्ती हो गए।

अब कौन कहेगा कि पढ़ लिख कर बड़ा बनना है:मुस्कान 
पढ़ लिख कर बहुत बड़ा बनना है ये बोल एसएसबी के जवान पायलट राजेश श्योराण के हुआ करते थे जो अपने भाई की बेटी मुस्कान को अक्सर कहा करते थे। राजेश के ये बोल आज भी उसकी भतीजी मुस्कान के कानों में गुंज रहे हैं। राजेश की भतीजी मुस्कान को अपने परिवार में राजेश से ही काफी लगाव था। इसी लगाव के चलते मुस्कान को इस बात का मलाल है कि चाचा राजेश के बाद उन्हें कौन ये कहेगा कि पढ़ लिख कर बड़ा बनना है? जवान राजेश श्योराण अपने परिवार ही नहीं गांव के सभी बच्चों से यही कहते थे कि बच्चों को केवल पढ़ाई पर ही ध्यान देना चाहिए। राजेश का मामना था कि बच्चे पढ़ लिखकर ही कामयाब हो सकते हैं। गांव वालों की मानें तो राजेश काफी मिलनसार थे और गांव में जब भी आता था तो सभी से मिलकर जाते थे और जब भी मौका मिलते थे। वह गांव के बच्चों की 
क्लास लेनी नहीं भूला करते थे। हर बार वह बच्चों को आगे बढऩे के लिए प्रेरित करते थे। राजेश के पिता भी सेना में थे उन्हीं के संस्कार लेकर वह सेना में भर्ती हुए। 

डायरी और पैन लाते थे
राजेश जब भी छुट्टी आते थे तो अपने भाई के बच्चों और अपने बच्चों के लिए डायरी और पैन लेकर आते थे और हमेशा पढ़ लिख कर बड़ा बनने के लिए प्रेरित करते रहते थे। बच्चों के लिए डायरी पैन का लाना राजेश की इस बात को दर्शाता है कि राजेश को पढऩे के साथ- साथ लिखने में भी काफी रूचि रही है। अपनी इसी रूचि के कारण हमेशा वे बच्चों को भी इसके लिए ही प्रेरित किया करते थे। परिवार ही नहीं गांव के लोंगों का भी होनहार राजेश की कमी खलती रहेगी। 

राजेश श्योराण के ताऊ रामकिशन ने बताया कि वह बड़ा होनहार और मिलनसार युवक था। बचपन से ही वह कहा करता था कि ताऊ जी में एक दिन परिवार,गांव व देश का नाम रौशन करूंगा। उसकी पढाई में बहुत रुचि थी और वह बच्चों को पढने व आगे बढने के लिए प्रेरित करता रहता था। राजेश श्योराण की भतीजी मुस्कान ने बताया कि उनके रिश्तेदारों में चाचा राजेश उसे सबसे प्रिय थे। वे जब भी आते तब उसके लिए पैन,डायरी व पुस्तकें आदि लेकर आते थे और पढ-लिखकर बड़ा बनने की प्रेरणा देते थे। मुस्कान ने बताया कि वह अपने चाचा के सपनों को साकार करेगी और बड़ा बनकर दिखाएगी।

पूर्व सैनिक संघ के प्रधान धर्मपाल बारवास,महाबीर सिंह,मनोज कुमार प्राध्यापक ने बताया कि सैनिक पृष्ठभूमि से होने के कारण राजेश की देश सेवा में शुरू से रूचि थी। वह बहुत ही होनहार और मिलनसार था और जब भी गांव आता था तो नाते के अनुसार सबको पहले से ही नमस्कार करता और घर-परिवार के हालचाल पूछता था। 

राजेश श्योराण अपने पीछे पत्नी व एक पुत्र तथा पुत्री छोडकऱ गए हैं। बुधवार सुबह 8 बजे गृहमंत्री राजनाथ सिंह सफदरजंग एयरपोर्ट पर शहीद राजेश श्योराण व विमान हादसे में मारे गए हुए अन्य सभी सैन्यकर्मियों को अंतिम सलामी देंगे। इसके पश्चात राजेश श्योराण का पार्थिव शरीर गांव बारवास लाया जाएगा जहां पूरे सैनिक व राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।