‘हौसलानामा’ के चरित्र बताएंगे जीवन के भेद

4/18/2018 1:44:15 PM

हिसार(ब्यूरो): हरियाणा के 1992 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी ओ.पी. सिंह ने साहित्य जगत में भी कदम बढ़ रहे हैं। अंग्रेजी में पुस्तक ‘से यस टू स्पोर्ट्स’ लिखकर व अब हिंदी में ‘हौसलानामा’ लिखते हुए कलम की ताकत को दिखाया है। उन्होंने 2013 में ‘से यस टू स्पोर्ट्स’ पुस्तक लिखकर सभी का ध्यान खींचा था। अब उनकी दूसरी पुस्तक ‘हौसलानामा’ भी तैयार है।

ए.डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी ओ.पी. सिंह की पुस्तक का विमोचन 25 अप्रैल को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सैंटर में होगा। यह पुस्तक बुक स्टॉल के अलावा एमेजॉन डॉट कॉम पर भी उपलब्ध होगी।‘हौसलानामा’ में 24 अध्याय हैं। कहानी गांव से शुरू होकर स्कूल-काॅलेज, घर शहर होते हुए शासन के गलियारे से गुजरती है। 

गंभीर और झकझोरने वाले मुद्दों को सहज हास्य में लिखा
यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन की साहित्य छात्रा मल्लिका सिंह का कहना है कि लेखक अंग्रेजी साहित्यकार चाल्र्स डिकेंस की तरह जटिल विषयों का चित्रण विनोद भाव से करते हैं। ‘से यस टू स्पोर्ट्स’ का विमोचन तत्कालीन केंद्रीय मंत्री डा. शशि थरूर ने किया था।

आजादी के बाद भी कायम है निर्भरता: सिंह
ओ.पी. सिंह का कहना है कि जिंदगी हौसलों की कहानी है, जिसमें जीत-हार लगी रहती है मगर जीत को दिमाग पर नहीं चढऩे देना चाहिए और हार को दिल से नहीं लगाना चाहिए। किताब का भाव जैसा देखा वैसा लिखा है। गांव की जद्दोजहद, शहरी जीवन के सतहीपन, शिक्षा व्यवस्था की विसंगतियों, संबंधों की कशमकश व शासन तंत्र के पेचों का इसमें जीवंत चित्रण है। 

आजादी हमें 1947 में मिल गई थी लेकिन निर्भरता जस की तस है। लोग परिवार, सरकार और रामभरोसे पड़े रहते हैं। कभी ये नहीं सोचते कि उन्होंने स्वयं के लिए क्या किया? पुस्तक के चरित्रों के माध्यम से संदेश है कि अपना भला हो या समाज का, चरित्र विकास हो या राष्ट्र निर्माण, सब मजदूरी का काम है जो करने से होगा। उन्होंने कहा शॉर्टकट बताने वाले ठग हैं जो सब लूट ले जाएंगे।

Deepak Paul