लोकसभा चुनावों में प्रदेश में कई बार हुआ क्लीन स्वीप

3/19/2019 9:53:31 AM

जींद (जसमेर): प्रदेश में 1967 से 2014 तक हुए 16 संसदीय चुनावों में कई बार मतदाताओं ने क्लीन स्वीप करते हुए किसी को राजनीतिक अर्श पर पहुंचाने का काम किया तो किसी को फर्श पर पहुंचाने के लिए वोट डाली। कई बार प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच बराबरी के चुनावी मुकाबले भी हुए। हरियाणा में भले ही कभी 9 संसदीय सीटें होती थीं और अब 10 संसदीय सीटें हैं लेकिन प्रदेश का देश की राजनीति में एक अलग ही स्थान रहा है। इसकी वजह हरियाणा की दिल्ली से नजदीकी है।

जब भी दिल्ली में किसी राजनीतिक दल को शक्ति प्रदर्शन की जरूरत पड़ती है तो सबसे पहले नजर हरियाणा पर जाती है जो देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली को 3 तरफ से घेरता है। इसी कारण हरियाणा में संसदीय चुनावों का बेहद खास महत्व महज 10 लोकसभा सीटें होते हुए भी बना हुआ है। प्रदेश के मतदाताओं की तासीर ऐसी है कि ज्यादा मौकों पर उन्होंने क्लीन स्वीप के लिए वोटिंग की है। कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं, जब प्रदेश के मतदाताओं ने चुनावी समर में उतरे राजनीतिक दलों को बराबर की हिस्सेदारी लोकसभा में देने का काम किया है। 

प्रदेश में 4 बार हुए विभिन्न दलों के बीच बराबरी के मुकाबले

हरियाणा में 4 संसदीय चुनावों में प्रदेश के मतदाताओं ने किसी भी दल का न तो सूपड़ा साफ किया और न ही किसी को राजनीतिक अर्श पर पहुंचाने का काम किया। सभी राजनीतिक दलों को प्रदेश के मतदाताओं ने उनके हिस्से की सीट देकर राजनीतिक संतुलन बनाने का काम किया। 1980 में हुए संसदीय चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को 5, जनता पार्टी (एस.) को 4 तथा जनता पार्टी को एक सीट मिली थी। 1989 में हुए संसदीय चुनावों में जनता दल को 6 और कांग्रेस को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 1996 में हविपा, भाजपा गठबंधन को 7, कांग्रेस को 2 तथा निर्दलीय को एक सीट मिल पाई थी। 1998 में हलोदरा तथा बसपा गठबंधन को 5, कांग्रेस को 3 तथा हविपा-भाजपा गठबंधन को 2 सीटें मिली थीं। 

Deepak Paul