लैपटॉप में साफ्टवेयर डालकर भ्रूण की पहचान करने वाला गिरोह सक्रिय

10/13/2015 12:35:52 AM

कैथल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ अभियान को ठेंगा दिखाते हुए कई अंतर्राज्यीय गिरोह इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को पछाडऩे में लगे हैं। ताजा पुख्ता जानकारी के अनुसार पता चला है कि मां के पेट में पल रहे भू्रण की पहचान करने के लिए गिरोह के सदस्यों ने एक लैपटॉप में ऐसा साफ्टवेयर डाला हुआ है जिससे किसी बड़ी मशीन की इस काम में जरूरत नहीं पड़ती। यहां तक कि खड़ी कार में भी इस गिरोह के लोग पेट में पल रहे भू्रण की ङ्क्षलग संबंधी जांच करने में माहिर हैं। करीब 6 साल की बेटी के पिता कैथल के एक जोड़े को इस गिरोह के सदस्यों ने पहले जींद में बुलाया लेकिन वहां दाल नहीं गली और कोई ऐसा स्थान नहीं मिला जहां वे ङ्क्षलग की जांच कर सकें।
 
अगले दिन नरवाना और कल पुन: पातड़ां मंडी पंजाब में आने का समय दिया। जहां तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार दलाल को लेकर यह जोड़ा वहां पहुंचा तो पाया कि गिरोह के सदस्यों ने एक पैलेस में एक कमरा लिया हुआ था और पैलेस मालिक को यह बताया कि अगले महीने विवाह के लिए बुकिंग करने आए हैं जिसके चलते गिरोह के सदस्यों को 2 फायदे हुए पहला यह कि कम किराए में कमरा मिला और दूसरा फायदा यह रहा कि वहां के प्रशासन को भनक तक नहीं लगी। 
 
यह संयोग ही है कि पहले से एक बेटी के माता के पेट में पल रहा भ्रूण भी बेटी ही मिली। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार कुछ प्राइवेट अस्पतालों में सहायक स्टाफ इस गैर-कानूनी और गैर-सामाजिक धंधे में दलाल की भूमिका निभा रहे हैं। अंतर्राज्यीय गिरोह के सरगना से बेहतर तालमेल होने और हरियाणा में महिलाओं की निरक्षरता का लाभ उठाते हुए उन्हें बरगलाकर अपने पूर्व निर्धारित ठिकानों पर जन्म पूर्व भू्रण की जांच कर रहे हैं जिसकी फीस 17 से 18 हजार रुपए तय की हुई है। ऐसे शातिर अपराधी पुलिस के शिकंजे से बाहर हैं और सोची समझी रणनीति के तहत सरकार को चुनौती दे रहे हैं।
 
जांच करवाकर लौटे दम्पति ने बताया कि बेशक उन्हें दूसरी बेटी की आस है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की इस प्रेरणादायी बेटी-बचाओ बेटी-पढ़ाओ योजना के चलते वह गर्भ में पल रही बेटी को नहीं मरवाएंगे। उन्होंने कहा कि वह भ्रमित होकर चैक करवाने चले गए थे लेकिन जिस चोरी से यह गोरखधंधा चल रहा है उसे घृणित कार्य मानते हुए उन्होंने अपना विचार बदल दिया है।
 
डा. एम.एस.शाह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और स्वैच्छिक सामाजिक संगठन शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में उन माताओं की पहचान करवाएं जिनके पास पहली बेटी या दूसरी बेटी है और वे दूसरे शिशु की उम्मीद में हैं। ऐसे दम्पतियों जिनके साथ सास व मां भी हो की काऊंसिङ्क्षलग करवाई जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अलावा मनोविज्ञान के प्रोफैसर भी शामिल हों। उन्हें मोटिवेट करने की आवश्यकता है कि गर्भ में पल रहा बेटा हो या बेटी वह सुरक्षित जन्म ले।
 
पुलिस अधीक्षक कृष्ण मुरारी ने बताया कि जब भी कोई दलाल इस प्रकार की भू्रण जांच की बात करे या बरगलाए तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। शिकायतकत्र्ता पुलिस स्टेशन के अलावा उनके मोबाइल पर भी सूचना दे सकता है। ऐसे लोगों के खिलाफ भा.दं.सं की धारा 420 के अलावा एम.टी.पी. एक्ट के तहत आपराधिक केस दर्ज करवाए जाएंगे।