जिले के कई ब्लाकों में गर्त में जा रहा भूमिगत जल स्तर

7/16/2019 12:14:44 PM

जींद (जसमेर): जिले में भूमिगत जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। जिले के कई ब्लाकों में भूमिगत जल स्तर हर 5 साल में और नीचे सरक रहा है। सबसे गंभीर स्थिति अलेवा ब्लाक में बनी हुई है। इस ब्लाक में भूमिगत जल स्तर जिले में सबसे ज्यादा नीचे जा चुका है।  लगातार गिरता जा रहा भूमिगत जल स्तर अब किसानों से लेकर सरकार तक के लिए ङ्क्षचता का सबसे बड़ा विषय बनता जा रहा है। पहले किसान का ट्यूबवैल 30 से 40 फुट पर लग जाता था। अब 200 फुट पर भी किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा। पहले साधारण ट्यूबवैल लगाने पर महज कुछ हजार रुपए खर्च होते थे। अब साधारण ट्यूबवैलों की जगह सबमर्सीबल लगाना किसान की मजबूरी बन रहा है।

सरकार की ङ्क्षचता यह है कि आने वाली पीढिय़ों के लिए पानी बचाने के लाले सरकार को पडऩे जा रहे हैं। इसी कारण केंद्र सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय का गठन कर जल संरक्षण और जल संचय के लिए बड़ी मुहिम शुरू की है। इस मुहिम के तहत केंद्र सरकार की संयुक्त सचिव मीरा रंजन जींद का दौरा कर चुकी हैं। जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने में जींद प्रशासन जुटा है।

 जिले में जब-जब बाढ़ आई या मानसून की बारिश औसत से कहीं ज्यादा हुई, तब-तब जिले में भूमिगत जल स्तर में सुधार दर्ज किया गया है। 1994 से 2019 तक के जींद जिले के सभी ब्लाकों के भूमिगत जल स्तर के आंकड़े साफ बयां करते हैं कि 1995 और 1998 में आई बाढ़ से भूमिगत जल स्तर में सभी ब्लाकों में सुधार हुआ। जुलाना और पिल्लूखेड़ा ब्लाक में आज भी भूमिगत जल स्तर ज्यादा नीचे नहीं गया है तो इसकी वजह यह है कि पिल्लूखेड़ा और जुलाना ब्लाक जींद जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आते हैं। बारिश का पानी पिल्लूखेड़ा और जुलाना ब्लाक में हर साल खेतों में भर जाता है। इससे इन दोनों ब्लाकों में भूमिगत जल स्तर दूसरे ब्लाकों के मुकाबले काफी बेहतर बना हुआ है। 2018 में जुलाना ब्लाक में बारिश ने फसलों को भारी नुक्सान पहुंचाया था, लेकिन इसका परोक्ष फायदा यह हुआ कि जुलाना ब्लाक में 2018 के मुकाबले 2019 में भूमिगत जल स्तर में सुधार हुआ। 

Isha