खराब हुई कपास का 5,500 नहीं 12,000 चाहिए मुआवजा: चढूनी

10/2/2015 1:13:48 PM

कैथल (पराशर): गेहूं, धान व कपास की फसलें लगातार प्राकृतिक आपदाओं के कारण बर्बाद हो रही हैं। किसान परेशान हैं। प्रदेश में सफेद मक्खी ने कहर बरपाया हुआ है। किसानों की शत-प्रतिशत कपास की फसल बर्बाद हो गई है। उधर मंडियों में किसानों को धान का रेट भी कम मिल रहा है। अगर सरकार ने किसानों के हितों के लिए सही कदम नहीं उठाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। यह बात भाकियू प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कही।

गुरनाम ने कहा कि प्रदेश सरकार कुछ इलाकों में सफेद मक्खी के कारण खराब हुई फसल का मुआवजा 5,500 रुपए दे रही है। यह मुआवजा काफी कम है। उन्होंने कहा कि सफेद मक्खी ने पूरे हरियाण में किसानों की कपास की फसल को बर्बाद किया है। एेसे में सरकार को पूरे हरियाण में स्पैशल गिरदावरी करवाकर 5,500 रुपए के स्थान पर 12,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि किसानों का एक एकड़ पर करीब 17,000 रुपए खर्च आया है।

उन्होंने कहा कि धान की फसल मंडियों में आई हुई है। आढ़तियों का 400 करोड़ रुपए निर्यातकों की तरफ बकाया है। एेसे में किसानों को मंडियों में उचित रेट नहीं मिल रहा है। निर्यातकों से बात करो तो वे बोलते हैं कि उनका पैसा विदेशों में फंसा हुआ है। गुरनाम ने बताया कि इस बारे में उन्होंने कृषि मंत्री से बातचीत की थी। इस बारे में पूरी बात उनको बताई जा चुकी है लेकिन सरकार कोई निर्णय नहीं ले रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि बासमती की खरीद न हो, ताकि किसान मोटी धान लगाएं। उन्होंने कहा कि प्रशासन, सरकार व व्यापारियों की मिलीभगत के कारण किसान पीस रहा है। इस अवसर पर उनके साथ भाकियू नेता सुरेश कौथ, युवा भाकियू प्रधान जसबीर सिंह, राम मेहर, सुल्तान सिंह, सतबीर सिंह सहित अन्य किसान उपस्थित थे।