स्याही कंट्रोवर्सी से आनंद ने उठाया पर्दा: आर.ओ. व चंद्रा के बीच 26 बार मोबाइल पर हुई बात

6/26/2016 12:51:51 PM

चंडीगढ़: राज्यसभा चुनाव में आर.के. आनंद की ओर से स्याही बदलने के कारण उनके पक्ष में पड़े 12 मतों के रद्द होने के मामले में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय सिंह दहिया ने आज सभी पक्षों की आपत्तियां दर्ज कर साढ़े 3 घंटे सुनवाई की। आनंद अपनी समर्थित पार्टियों इनैलो प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर के साथ दहिया के समक्ष पेश हुए। जबकि सुभाष चंद्रा ने भी उनके सम्मुख पेश होकर अपना पक्ष रखा।

 

सुनवाई के दौरान आनंद ने परत-दर-परत पूरी साजिश का खुलासा करते हुए अपने समर्थन में मतदान करने वाले 28 विधायकों के हलफनामे भी जांच अधिकारी के पास जमा करवाते हुए कहा कि इनमें इनैलो के 18 व कांग्रेस के 10 हलफनामे शामिल हैं जबकि दो विधायक विदेश हैं, इसलिए उनके हलफनामे बाद में जमा करवाए जाएंगे। आनंद ने खुलासा किया कि चुनाव से पूर्व सुभाष चंद्रा के चुनाव एजैंट वीरेंद्र मोहन ने निर्वाचन अधिकारी आर.के. नांदल व सहायक निर्वाचन अधिकारी सुभाष शर्मा के साथ 26 बार टैलीफोन पर बातचीत की। बातचीत का क्रम चुनाव से पूर्व मध्य रात्रि तक जारी रहा। इनमें आपस में क्या बातचीत होती रही होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 

 

उन्होंने टैलीफोन कॉल्स की डिटेल तक जांच अधिकारी को सौंप कर यह जतलाना चाहा कि चंद्रा के चुनाव एजैंट व निर्वाचन अधिकारियों के बीच कब-कब व कितने-कितने समय तक बातचीत होती रही और इन सभी के बीच मिलीभगत थी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार मतदान के लिए प्रत्येक विधायक को मत पत्र व उस पर निशान लगाने के लिए पैन प्रदान करने की जिम्मेदारी निर्वाचन अधिकारी की होती है। मतदाता को यह दोनों चीजें एक साथ दी जाती हैं, लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने बैलेट पेपर के साथ पैन देने के बजाय उसे निशान लगाने वाली जगह पर रखवा दिया। 

 

उन्होंने दोहराया कि पहले भाजपा विधायक असीम गोयल ने असली पैन उठाकर वहां दूसरी स्याही वाला पैन रखने का काम किया और बाद में कांग्रेस विधायकों की ओर से मतदान करने के बाद निर्दलीय विधायक जय प्रकाश ने असीम गोयल की ओर से वहां रखे गए नकली पैन को उठाकर फिर से असली पैन वहां रख दिया। इस बीच पड़े 13 मत अलग स्याही होने के कारण रद्द कर दिए गए। आनंद ने मतदान की प्रक्रिया से संबंधी वीडियो फुटेज के वह अंश चलवाकर भी जांच अधिकारी को दिखाए, जिसमें असीम गोयल व जय प्रकाश मतदान के लिए अन्य विधायकों से कहीं ज्यादा समय लेते दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं, असीम गोयल जब मतदान करके लौटते हैं तो उनके व सहायक निर्वाचन अधिकारी सुभाष शर्मा के बीच इशारेबाजी भी होती दिख रही है। 

 

आनंद ने कहा कि नांदल की नियुक्ति ही राजनीति से प्रेरित है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने तर्क दिया कि सुभाष चंद्रा के चुनाव एजैंट व सहायक निर्वाचन अधिकारी के बीच चुनाव से पूर्व कई बार टैलीफोन पर बातचीत होते रहने व चुनाव के दौरान हुई इशारेबाजियों से स्पष्ट है कि पैन बदलने की साजिश रची। उधर, इनैलो व कांग्रेस नेताओं की ओर से लगाए आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा कि मतदान की प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी तरह की आपत्ति दर्ज नहीं करवाई गई। 

 

जांच अधिकारी विजय सिंह दहिया ने अपने कार्यालय के 4 अन्य अधिकारियों के साथ इस पूरे मामले की सुनवाई की। इसी बीच आनंद ने केंद्रीय चुनाव आयोग से अपना पक्ष रखने के लिए मंगलवार को मुलाकात का समय मांगा है, लेकिन अभी तक उन्हें इस मुलाकात का समय नहीं मिल पाया।

 

आनंद ने ये उठाए सवाल
सुभाष चंद्रा ने मोबाइल की टार्च से क्यों जांची वोट की स्याही।

ए.आर.ओ. और असीम गोयल के बीच क्या थी इशारेबाजी।

कहां से आया और कहां गायब हो गया अलग स्याही वाला पैन।