आई.पी.एस. सुमेर प्रताप की याचिका पर सरकार को नोटिस

3/1/2018 12:54:47 PM

चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा पुलिस में कार्यरत आई.पी.एस. सुमेर प्रताप सिंह (35) द्वारा एक भ्रष्टाचार केस में सिविल ड्रेस में गवाही पर पहुंचने पर स्पेशल कोर्ट, कैथल द्वारा उनके खिलाफ की गई टिप्पणी, चेतवानी को सुमेर प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। एस.पी. टेलीकॉम, पंचकूला एवं एस.पी. क्राइम, मधुबन का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे सुमेर प्रताप सिंह ने हरियाणा सरकार को पार्टी बनाया है। हाईकोर्ट के जस्टिस तेजिंद्र सिंह ढींडसा ने मामले में सरकार को 18 अप्रैल के लिए नोटिस जारी किया है। मांग की गई है कि स्पेशल जज, कैथल एम.एम. ढोंचक के 11 जनवरी, 2018 को जारी एक फैसले को रद्द किया जाए।

विजिलेंस ब्यूरो, अम्बाला ने जुलाई, 2016 में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक केस दर्ज किया था जिसकी स्पेशल बैंच में सुनवाई चल रही थी। मांग की गई है कि उस फैसले में याची के खिलाफ  की गई अनचाही टिप्पणी, चेतावनी को हटाया जाए। एस.पी. सुमेर प्रताप सिंह ने कहा है कि उन्हें सम्बंधित केस में स्पेशल बैंच एम.एम. ढोंचक की कोर्ट में गवाह के रूप में पेश होने के लिए समन किया गया था। याची सिविल ड्रेस में थे। याची के पेश होते ही सम्बंधित कोर्ट ने उन्हें वर्दी में पेश न होने पर फटकार लगाई थी। याची ने जब स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया तो कोर्ट ने परेशान होते हुए कहा कि या तो आप माफी मांगे वर्ना जेल में डाल दिए जाओगे। वह तुरंत ही माफी मांगने को तैयार हो गए ताकि कोर्ट की प्रक्रिया अच्छे से चलती रहे। इसके बाद उन्होंने अपनी गवाही दर्ज करवाई।

यह बनाया याचिका का आधार
याची ने कहा कि उन्हें रोजाना ऑफिस वर्दी पहनना आवश्यक नहीं था जिसके पीछे जुलाई, 2005 के प्रशासनिक आदेशों का हवाला देेते हुए कहा गया कि पुलिस हेडक्वार्टर, रेलवे, टेलीकॉम आदि में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को आधे दिन पूरी वर्दी पहनना अनिवार्य है। ऐसे में बाकी दिन याची को वर्दी पहनना अनिवार्य नहीं था। 11 जनवरी, 2018 को जिस दिन के लिए याची को समन हुआ था उस दिन वीरवार था। याची कोर्ट में सिविल में बड़े ही आदरपूर्वक कानून की मर्यादा करते हुए पेश हुए थे।