पैथोलॉजिस्ट के बिना लैब चलाना अपराध, SC के निर्णय को लागू करवाना विभाग के लिए चुनौती

1/1/2018 3:53:55 PM

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार अब कोई पैथोलॉजी लैब बिना किसी पैथोलॉजिस्ट के चलाना अपराध होगा। किसी भी लैब में पैथोलॉजी में पोस्ट ग्रैजुएट किए विशेषज्ञ का होना जरूरी है। एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिसिंग पैथोलॉजिस्ट्स हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष डा. संजय बेदी ने बताया कि एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को शीघ्र लागू करवाने की मांग की है।

उल्लेखनीय है कि सितम्बर 2017 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि पैथ लैब चलाने के लिए एम.बी.बी.एस. डाक्टर होना अनिवार्य है। इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है। फैसले के अनुसार ऐसा भी संभव नहीं होगा कि किसी पोस्ट ग्रैजुएट पैथोलॉजिस्ट के नाम पर कोई लैब खोल ले, क्योंकि अब पैथोलॉजिस्ट का मौके पर होना जरूरी होगा। रिपोर्ट पर डिजीटल साइन नहीं चलेंगे। लैब में उपस्थित पोस्ट ग्रैजुएट पैथोलॉजिस्ट के साइन ही चलेंगे और ये साइन भी तब होंगे जब वह लैब में उपस्थित होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से लैब संचालक सकते में हैं, क्योंकि अधिकतर लैब संचालकों के पास पैथोलॉजी में पोस्ट ग्रैजुएट किए विशेषज्ञ नहीं हैं। लगभग हर निजी अस्पताल में इसी प्रकार बिना पैथोलाजी में पोस्ट ग्रैजुएट विशेषज्ञों के बिना लैब चलाई जा रही है। निजी अस्पतालों के अतिरिक्त भी न जाने कितनी ऐसी पैथोलॉजी लैब हैं जो बिना विशेषज्ञों के चल रही हैं और उनकी कोई मान्यता नहीं है और न ही इन लैबोरेट्री की रिपोर्ट को कोई मानने को तैयार है।

स्वास्थ्य महानिदेशक पर निर्णय को अमल में लाने की जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को अमल में लाने की जिम्मेदारी प्रत्येक प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशक की है। अब देखना यह है कि कब तक इस निर्णय को स्वास्थ्य विभाग लागू करवाने में सफल होता है या फिर पुराने तरीके से ही मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार यदि किसी को अपने अस्पताल में भी लैब चलानी है तो उसके लिए उसे पोस्ट ग्रैजुएट पैथोलॉजिस्ट को रखना होगा।

पोस्ट ग्रैजुएशन पैथोलॉजिस्ट एवं एसोसिएशन ऑफ पी.जी. पैथोलॉजिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी डा. रमेश गर्ग ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट  का निर्णय मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। यदि हरियाणा की बात की जाए तो लगभग 4000 के करीब इस प्रकार की लैब खुली हुई हैं, जिनके पास कोई पोस्ट ग्रैजुएशन पैथोलॉजिस्ट नहीं है।