अध्यापिकाओं ने स्कूल गेट पर धरना किया शुरू

punjabkesari.in Thursday, May 30, 2019 - 08:35 AM (IST)

पूंडरी(अतुल): ए.एस. सीनियर सैकेंडरी स्कूल की अध्यापिकाओं, सफाई कर्मचारी व चपड़ासी अपनी मांगों को लेकर स्कूल गेट पर धरना शुरू किया हुआ है। अपनी मांगों को लेकर अध्यापिकाओं ने प्रशासन के नाम तहसीलदार चेतना चौधरी को ज्ञापन भी सौंपा जिसमें आरोप लगाया कि कम वेतन पर अधिक काम व उनका शोषण किया जाता है। धरने पर बैठी टीचरों का कहना था कि वे 25-25 वर्षों से स्कूल में अध्यापन का कार्य कर रही हैं लेकिन वेतन व अन्य सुविधाओं के नाम पर उनका जमकर शोषण किया जा रहा है।

गणित टीचर दर्शना वालिया, ज्ञानता देवी पी.टी.आई., नीलम लूथरा, अंजु व नीरज वालिया ने बताया कि उनमें से अधिकतर टीचर जब स्कूल में लगी थीं उन्हें 800 रुपए वेतन मिलता था जिसमें मामूली बढ़ौतरी कर उन्हें अब 6500 से 10 हजार रुपए के बीच वेतन दिया जाता है। वर्ष 2013 से उनका दिया जाने वाला ई.पी.एफ. बंद कर दिया गया। जब इसके खिलाफ आवाज उठाई तो वर्ष 2018 से नए बैंक खाते लेकर दोबारा शुरू किया गया और पिछला देने से आनाकानी कर रहे है।

उनकी मांग है कि उनका ई.पी.एफ. राशि पुराने खाते में ही डाली जाए। टीचरों ने बताया कि हर गर्मी की छुट्टियों में उनकी सैलरी काट ली जाती है। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें केवल 3450 रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है, जबकि वे पूरी निष्ठा से अपना कार्य करते हैं।
 
नियमित रूप से बढ़ाई जाती है सैलरी : बंसल

स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान सुदेश बंसल ने बताया कि हर वर्ष सैलरी बढ़ाई जाती है। इसके अलावा भी अतिरिक्त बढ़ौतरी करने की बात कही थी। उन्हें कुछ लोगों द्वारा स्कूल प्रबंधक समिति के खिलाफ उकसाया जा रहा है। कुछ लोगों ने स्कूल का प्रबंधन को लेकर न्यायालय में केस भी डाला हुआ है। जहां तक वेतन की बात है हर अध्यापक की सैलरी में 15 प्रतिशत की बढ़ौतरी 1 अप्रैल से कर दी गई है। इसके अतिरिक्त जो टीचर ज्यादा पुराने है, उन्हें उसके हिसाब से अलग से इंसैंटिव भी दिया गया है।

जिससे उनकी सैलरी में 20 से 25 प्रतिशत तक कि बढ़ौतरी होगी। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों के वेतन में 15 प्रतिशत की बढ़ौतरी की गई है। स्कूल में गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं जिनसे स्कूल द्वारा मामूली फीस ली जाती है। स्कूल के पास इतनी आमदन ही नहीं है, जितना वेतन लेने की जिद्द टीचर कर रहे है। स्कूल को कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है। कमेटी उनकी जायज मांगों को मानने के लिए हमेशा तैयार हैं।


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kamal

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