बढ़ रहा पर्यावरण पर खतरा, शुद्ध आक्सीजन देने वाले पेड़-पौधे के जीवन पर संकट

5/23/2019 12:00:36 PM

करनाल (सरोए): कृषि विभाग द्वारा इस बार धान का रकबा करीब 30 हजार एकड़ कम करने का दावा किया है, जो धरातल पर दूर-दूर तक नजर नहीं आता। किसान तेजी से धान लगाने के लिए पनीरियां लगा रहे हैं। उधर, काफी किसान धान लगाने व चारा लगाने के लिए खेतों में खड़े फसल अवशेष को आग के हवाले कर जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति को कम कर रहे हैं, कीट मित्रों को नष्ट कर रहे हैं। वहीं, वातावरण में शुद्ध आक्सीजन फैलाने वाले पेड़-पौधों को खत्म करने में लगे हैं। जो गंभीर विषय है। शहर में वातावरण प्रदूषित हो चला है, जो पी एम 2.5 94 तो पी एम टैन 140 पर चल रहा है। जो सामान्य से काफी ज्यादा चल रहा हैं।

हैरानी की बात है कि पिछले करीब 10 सालों से जिले में धान का रकबा अमूमन 1.70 लाख हैक्टेयर रहता चला आ रहा है, इसमें एक हजार हैक्टेयर की कभी कमी आ गई हो, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन कृषि अधिकारियों द्वारा साल दर साल जागरूक किया जा रहा है। फिर भी जागरूकता धरातल पर कभी दिखाई नहीं दी। उधर, किसान भी धान की फसल को किसी भी कीमत पर छोडऩे को तैयार नहीं। क्योंकि उन्हें फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं। इसकी एवज में वे अपनी प्राकृतिक सम्पदा पानी को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। दिलचस्प बात तो तब हो जाती है तक विदेशों में चावल भेजने वाले बड़े-बड़े राइस मिलर किसानों को फसल में दवाइयों का प्रयोग कम करने के लिए सैमीनार वगैरा करते रहते हैं परंतु अभी तक अधिकारियों की ओर से एक भी सैमीनार ऐसा नजर नहीं आया जो किसानों को बताएं कि फसल विविधीकरण की तरफ चले अर्थात पानी बचाने के लिए अन्य फसलों को लगाएं। चूंकि आने वाले दिनों में फसल लगाने के लिए पानी भी नहीं रहेगा, तब क्या करोंगे। काबिलेगौर है कि जिले में प्रतिदिन साल 2 से 3 मीटर पानी नीचे खिसकता चला जा रहा है।

400 किसानों पर लगाया जुर्माना
कृषि विभाग की ओर से अभी तक मात्र 400 किसानों पर ही जुर्माना लगाया गया है, ये वे किसान हैं, जिन्होंने खेतों में आग लगाई है। उधर, वन विभाग ने भी अपने कर्मचारियों को फील्ड में भेजा हुआ है, जहां पर भी सड़क किनारे पेड़-पौधे खेतों में लगी आग की वजह से नष्ट हो रहे हैं। उन किसानों पर कार्रवाई की जा रही हैं।  
प्रदूषण की वजह से बढ़ रही बीमारियां
जिले में जिस तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, इसके खतरनाक परिणाम भी फेफड़े, सांस की नली के कैंसर के रूप में सामने आने लगे है, अन्य बीमारियां की गिनती नहीं। कारण हर साल लाखों एकड़ में लगी फसलों के अवशेष जलाएं जा रहे हैं, शहर या गांव में कचरे को आग के हवाले किया जा रहा है। विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं, वन विभाग के पास पौधे लगाने की जगह नहीं लेकिन बिल्डिंग बनाने के लिए जगह की उपलब्धता हो जाती है। जिले को धीरे-धीरे गैस के चैंबर में बदला जा रहा है। जो आने वाले दिनों में विकराल रूप धारण करके हम सबके सामने खड़ा हो जाएगा। 
क्या कहते हैं अधिकारी
कृषि विभाग के उप निदेशक आदित्य डबास ने बताया कि इस बार धान का रकबा करीब 12 हजार हैक्टेयर कम किया जाएगा। किसानों को खेतों में मक्का लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उधर, डी.एफ.ओ. विजेंद्र सिंह ने बताया कि सड़क किनारे खड़े पेड़ पौधे अगर खेत में लगी आग के चलते नष्ट हो रहे है या ग्रोथ रूक गई है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही हैं।

Isha