किसान ने ट्रैक्टर-ट्राली खड़ा कर रास्ता किया अवरुद्ध, ग्रामीण परेशान

7/20/2019 12:05:29 PM

घरौंडा (टिक्कू): बीती शाम गढ़ीभरल ग्राम पंचायत के डेरा रामरंग में एक जमींदार ने ट्रैक्टर-ट्राली खड़ा कर मुख्य रास्ता बंद कर दिया, जिस कारण डेरा रामरंग तक कोई अन्य रास्ता न होने से ग्रामीण डेरे में ही फंसकर रह गए है। ग्राम पंचायत ने मामले की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों को दी है लेकिन उनकी सुनने के लिए कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। आलम यह है कि ग्रामीण खुद को डेरे में कैद महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति रोष बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि रास्ते का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे डेरे से पलायन करने के लिए मजबूर होंगे।

आजादी के बाद बसे डेरा रामरंग के ग्रामीणों को सरकार कोई स्थाई रास्ता नहीं दे पाई। जिसका खमियाजा ग्रामीणों को आजतक भुगतना पड़ रहा है। डेरा रामरंग के ग्रामीण विशाल कुमार, कृष्ण शर्मा, हारूण अलि, चतर सिंह मलिक व अन्य ग्रामीणों का कहना है कि डेरा पर लगभग 200 परिवार बसते हैं। डेरे की आबादी 600 से ज्यादा है लेकिन गांव में जाने के लिए आज तक कोई स्थाई रास्ता नहीं बन पाया जिसको लेकर उन्होंने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से भी गुहार लगाई है। 

मेरी बेटी की है शादी-4 दिन बाद ग्रामीण महिला अनीता देवी की बेटी की शादी है। डेरे का रास्ता बंद होने के बाद अनीता देवी की ङ्क्षचताएं ओर भी ज्यादा बढ़ गई हैं। अनीता देवी का कहना है कि यह एकमात्र रास्ता है और यही बंद कर दिया गया है। ऐसे में कैसे वे शादी की तैयारी करेंगे और कैसे घर तक बारात पहुंच पाएगी? 

ट्रांसफार्मर खराब हो गया है, खेत सूख रहे हैं-
डेरा रामरंग निवासी किसान चतर सिंह के खेत का ट्रांसफार्मर खराब हो गया है। खराब ट्रांसफार्मर को ट्रैक्टर के पीछे लाद कर किसान ठीक करवाने के लिए निकला तो बंद रास्ते के कारण बीच में ही अटक गया।  ट्रांसफार्मर को ठीक करवाना जरूरी है क्योंकि उसके खेत में खड़ी धान सूख रही है।

बच्चे नहीं जा पाते स्कूल
ग्रामीण महिला सुमन बताती है कि डेरे से गांव का स्कूल लगभग 2 किलोमीटर दूर है लेकिन रास्ता बंद होने से उनके बच्चे घर में बैठे हैं। प्रशासन को भी शिकायतें की हैं लेकिन उनकी सुनने के लिए कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। 

बिना रास्ते ही काट दिए प्लॉट 
ग्रामीण जयकुमार शर्मा का कहना है कि डेरे में पक्की गलियां, मंदिर, चौपाल सहित कुछ मूलभूत सुविधाएं भी हैं। लेकिन जब सरकार ने गरीबों के लिए प्लॉट काटे तो बिना रास्ते के प्लॉट वितरित कर दिए गए। ग्रामीण किसी जमींदार के पर्सनल रास्ते से होकर डेरे पर पहुंचते हैं और यह रास्ता लगभग 6 दशक से इस्तेमाल किया जा रहा है। अब जमींदार अपनी मनमानी करता है और कभी भी रास्ते को बंद कर देता है। ग्रामीण परेशान है ंऔर डेरे में कैद हो चुके हैं। 

Isha