पौत्र ने की फौजी दादा को राजकीय सम्मान देने की फरियाद, राष्ट्रपति को लिखा पत्र

10/1/2019 10:49:40 AM

करनाल (शैली): ब्रिटिश शासनकाल में फौजी रहे जीवन के पौत्र राजेश निवासी करनाल ने महामहिम राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर अपने शहीद दादा को राजकीय सम्मान देने और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की फरियाद की है। करनाल की शिव कालोनी में रहने वाले राजेश ने महामहिम राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा कि उसके दादा जीवन ने द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था और उनकी फौज का नाम नॉर्थ वैस्ट फ्रंटईयर था। 

उसका कहना है कि उनके फौजी दादा के जीवन का उन्हें आज तक यह पता लग नहीं सका है कि वह लापता हो गए थे या फिर देश के लिए शहीद हो गए थे। राजेश ने बताया कि वह पिछले 4 वर्षो से नगर निगम में कांट्रैक्ट बेस पर सफाई कर्मचारी के तौर पर कार्य कर रहे हैं और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। उसने बताया कि देश के लिए लडऩे वाले फौजी दादा के शहीद हो जाने के बाद उसके परिवार को सम्मान और सरकारी पैंशन मिलना वाजिब है लेकिन ब्रिटिशकाल में देश के लिए द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल होकर लड़ाई लडऩे वाले उनके दादा के परिवार को न तो सरकार की तरफ से कोई सम्मान मिला और न ही उन्हें सरकारी पैंशन का कोई लाभ मिला।

उसने बताया कि ब्रिटिशकाल में अपने देश की हकूमत के लिए लडऩे वाले फौजी जीवन की शहादत उस समय अधूरी साबित हो गई, जब उस देशभक्त फौजी का कोई भी रिकार्ड आर्मी दफ्तरों में नहीं मिला और उनका नाम कहीं गुम होकर रह गया। इसी कारण आज उस फौजी के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। 

फौजी जीवन के इतिहास की जानकारी 
फौजी जीवन का निजी जीवन हरियाणा के रोहतक के पास आवली नामक गांव में शुरू हुआ था। इसी गांव में इनका परिवार उस समय रहता था। नॉर्थ वैस्ट फ्रंटईयर नामक ब्रिटिश फौज में काम किया और इनके साथ रहते हुए 1930-31,1936-37 और 1937-39 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। इसके बाद वे एक बार अपने परिवार के पास अपने घर आवली में एक महीने के लिए लौटे थे लेकिन इसके बाद जब वे वापस फौज में गए तो फिर कभी नहीं लौट पाए।

उनके परिवार में उनके अलावा 9 अन्य सदस्य हैं, जिनमें उनका एक पुत्र, 2 पुत्रियां, एक पुत्रवधू, 3 पौत्र व 2 पौत्रियां शामिल हैं लेकिन वर्तमान में इनकी एक पुत्री, पुत्रवधू व एक पौत्र-पौत्री का निधन हो चुका है। 

परिवार के पास हैं ब्रिटिशकाल की कुछ धरोहर 
ब्रिटिशकाल में फौज के साथ काम करने वाले फौजी जीवन जब अपने घर वापस आए थे तो अपने साथ उस काल की कुछ धरोहर साथ लेकर आए थे, जिनकी याद आज भी उनके परिवार के बीच ताजा है। इन धरोहरों में 2 सिल्वर मैडल, जिसमें जीवन का नाम और उस समय के ब्रिटिश शासक की फोटो व नाम अंकित है। इसके अलावा 3 कांस्य धातु के 3 बड़े गिलास और एक लोटा भी मिले थे, जो आज उस काल की धरोहर के रूप में फौजी जीवन के पोते राजेश के पास मौजूद हैं।

Isha