आढ़ती नहीं कर पा रहे पेमेंट, किसानों के 100 करोड़ रुपए अटके

4/19/2019 5:19:39 PM

करनाल (सरोए): सरकार दावा करते नहीं थक रही कि वह किसानों की बड़ी हितैषी है, जो सच्चाई से काफी दूर है। नियम अनुसार किसानों को फसल बेचने के 72 घंटे में पेमैंट मिलनी चाहिए लेकिन किसानों को फसल बेचे हुए 144 घंटे बीत चुके हैं, पेमैंट मिलने के आसार अभी भी दूर तक दिखाई नहीं दे रहे। एक अनुमान के अनुसार 100 करोड़ रुपए की पेमैंट रुकी हुई हैं। जिसका इंतजार कर रहे हैं। किसान पेमैंट के लिए आढ़तियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन आढ़ती किसानों को पेमैंट नहीं कर पा रहे।

आढ़तियों का कहना है कि उनके पास किसानों को देने को पैसे नहीं है। जब सरकार पेमैंट देगी तभी किसानों को दे पाएंगे। उधर, सरकार द्वारा एच रजिस्टर का खाका ऑनलाइन किया जा रहा है। जिससे पेमैंट कब आएगी, इस बारे में स्थिति कोई स्पष्ट नजर नहीं आ रही। जिसको लेकर आढ़तियों में बेचैनी स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती हैं। ऑनलाइन नियम अनुसार मार्कीट बोर्ड के कर्मचारी आढ़तियों से आई फार्म लेकर उसे ऑनलाइन करेंगे, उसके बाद संबंधित विभाग के इंस्पैक्टर उनको मंजूरी करेगा, रिपोर्ट बनाकर विभाग के पास भेजेगा। उसके बाद ही विभाग पेमैंट जारी करेगा लेकिन ये प्रक्रिया काफी पेचीदगी से भरी है, जिसमें देरी की संभावना बनी रहेंगी। मिली जानकारी के अनुसार खाद्य एवं आपूॢत विभाग द्वारा किसानों को करीब 60 करोड़ रुपए जबकि हैफेड व अन्य द्वारा करीब 40 करोड़ रुपए देने हैं, कहने का अभिप्राय है कि जब से गेहूं की खरीद शुरू हुई है, तब से लेकर अब तक सरकार द्वारा खरीदे गए एक भी दाने की पेमैंट नहीं की है। जिसके चलते किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

सरकार समय पर पेमैंट करे
पंचायत नई अनाजमंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रजनीश चौधरी ने बताया कि सरकार द्वारा अब तक फसल की पेमैंट नहीं दी है। आढ़तियों के पास किसानों को देने के लिए पैसे नहीं है। हर रोज किसान पेमैंट के लिए मंडी में आ रहे हैं। कहा कि 72 घंटे में पेमैंट किसानों को मिल जानी चाहिए लेकिन जानबूझकर स्थिति को उलझाया जा रहा है। सरकार समय पर पेमैंट करे। 

ऐसा कुछ नहीं हो रहा
किसान नेता सेवा सिंह आर्य ने बताया कि सरकार ने दावा किया था कि 72 घंटे में पेमैंट की जाएगी, अगर लेट हुए तो ब्याज भी दिया जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा। किसानों की मांग है कि उन्हें कम से कम समय पर पेमैंट दी जाए ताकि उनकी मुसीबतें कुछ कम हो सकें। सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है।

यह कहना है डी.एफ.एस.सी.
डी.एफ.एस.सी. अनिल कुमार ने बताया कि जितने आई-फार्म को विभाग का इंस्पैक्टर मंजूरी देगा, उतना पैसा ही विभाग द्वारा आढ़तियों के खाते में डाल दिया जाएगा। आढ़तियों से एच रजिस्टर का खाका लेकर उसे मार्कीट बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा ऑनलाइन किया जा रहा है। उसके बाद विभाग का इंस्पैक्टर उसे मंजूरी देगा। उनके पास इंस्पैक्टरों द्वारा जो फार्म अप्रूवड करके भेजे हैं, उनको पेमैंट जारी की जा रही है।

Shivam