दहशत में गुजारी रात, हजारों एकड़ फसल जलमग्न

8/20/2019 1:52:34 PM

राई: यमुना एक बार फिर उफान पर है। 24 घंटे पहले हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 8 लाख 28 हजार क्यूसिक पानी शाम 7 बजे से ही सोनीपत में पहुंचना शुरू हो गया था। प्रशासन ने यमुना से सटे व तटबंध के भीतर बसे गांव नंगला, खेड़ी असदपुर व टौंकी को खाली करवाया। गांव टौंकी में ग्रामीणों को बाहर निकालने के लिए पुलिस फोर्स की मदद लेनी पड़ी। ग्रामीणों ने ऐलान किया कि वे गांव से बाहर नहीं जाएंगे बल्कि तटबंध पर ही डटेंगे। इधर, प्रशासन ने ग्रामीणों के ठहराव के लिए गांव मनौली की चौपालों व मंदिरों में व्यवस्था की है।

साथ ही तटबंध डटे ग्रामीणों के लिए टैंट के इंतजाम किए जा रहे थे। रात करीब 9 बजे तक यमुना लगभग उफान पर आ चुकी थी, जिसके कारण आसपास की हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गई और पशुओं पर लगातार खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों का रात दहशत में गुजरी। वहीं, ग्रामीण रातभर ठीकरी पहरे पर रहे।

बता दें कि रविवार को हथिनीकुंड बैराज से हर घंटे यमुना में पानी छोड़ा गया। 8 लाख 28 हजार क्यूसिक पानी यमुना में छोड़ा गया जोकि सोनीपत में सोमवार रात तक पहुंचने की संभावना थी। इससे पहले प्रशासन ने यमुना के किनारे के गांवों में मोर्चा संभालते हुए यहां से ग्रामीणों को बाहर निकालना शुरू किया।

गांव खेड़ी असदपुर व नंगला (एक पार्ट) से करीब 150 परिवारों से गांव खाली करवाया गया और उन्हें पशुओं व सामान समेत मनौली की चौपालों व मंदिरों में भेजा गया। वहीं, टौंकी के ग्रामीणों ने एक बार फिर गांव खाली करने से इंकार कर दिया लेकिन प्रशासन ने पुलिस फोर्स बुलवाकर गांव खाली करवाया। इस ग्रामीणों ने ऐलान किया कि वे गांव के बाहर तटबंध पर ही डटेंगे। यहीं पर टैंट का प्रबंध किया गया। प्रशासन ने इन गांवों के बिजली कनैक्शन भी अस्थाई तौर पर काट दिए। इसके अलावा डी.सी. डा. अंशज सिंह के साथ पूरी प्रशासनिक टीम ने मनौली में डेरा जमा लिया है। 

ग्रामीण बोले-उनके हिस्से के पैसे खा जाते हैं, नहीं किए जाते इंतजाम 
गांव टौंकी के ग्रामीण कंवरपाल, रोशनी व अन्य ने कहा कि गांव में हर बार यही हालात होते हैं। उनसे गांव खाली करवाया जाता है और बाद में उनके बच्चों तक को निवाला नहीं दिया जाता। उनके हिस्से के पैसे कर्मचारी या अधिकारी खा जाते हैं। राहत के कोई खास इंतजाम नहीं किए जाते और न ही उन्हें कोई मुआवजा दिया जाता, जबकि जब नेता वोट मांगने आते हैं तो बड़े-बड़े वायदे करके जाते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि वे दहशत में हैं लेकिन उनके सामने अब कोई चारा नहीं है। वे अपने पशुओं को छोड़कर नहीं जा सकते। तटबंध ही रहेंगे। 

Isha